यूपी के चित्रकूट जिले के राजापुर थाने के एक दरोगा ने कछिया गांव के एक दलित को छोड़ने के एवज में पचास हजार रुपये रिश्वत की मांग की। इससे संबंधित ऑडियो इन दिनों वायरल हुआ है। कछिया गांव की महिला ने गुरुवार 10 नवम्बर को गांव थाने में हाजिर होकर दलित जयराम पर छेड़खानी करने का आरोप लगाया तो गनीवां पुलिस चौकी के इंचार्ज दिनेश कुमार सिंह ने उस दलित से सात हजार रुपये लेकर उसका शांति भंग में चालान कर दिया।
जब वह शुक्रवार को उपजिला मजिस्ट्रट राजापुर की अदालत से रिहा हुआ तो दूसरे दिन (शनिवार) पुलिस ने उसी महिला से प्रार्थना पत्र लेकर बलात्कार के कथित आरोप में उसे हिरासत में ले लिया और जब रिश्वत का इंतजाम नहीं हो पाया तो उसे 17 नवंबर को राजापुर थाने की पुलिस ने जेल भेज दिया। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर सच में उसने महिला के साथ दुष्कर्म किया है तो उसे 24 घंटे के भीतर समक्ष न्यायालय के समक्ष पेश किया चाहिए, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया और पैरवी कर रहे उसके परिजनों से जरिए फोन पर दरोगा दिनेश कुमार सिंह पचास हजार रुपये देने पर छोड़ने की बात कहते रहे हैं। यह आडियो रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया में वायरल हुई है जिसे अपर पुलिस अधीक्षक चित्रकूट को भी ‘व्हाट्सऐप’ के जरिए भेजा गया है।
इस मामले में पुलिस अधीक्षक चित्रकूट दिनेश पाल सिंह का कहना है कि ‘ऑडियो की जांच कराई जाएगी, अगर उपनिरीक्षक दोषी पाया गया तो कार्रवाई होगी।’ लेकिन कोई भी पुलिस अधिकारी यह बताने को तैयार नहीं है कि जो व्यक्ति पहले की तहरीर में छेड़छाड़ का आरोपी बनाया जाता है, वही दूसरी तहरीर में (घटना दिनांक, समय व घटनास्थल वही) उसी महिला से दुष्कर्म करने का आरोपी कैसे बना दिया गया? और पुलिस उसे तुरंत गिरफ्तार तो कर लेती है, किन्तु न्यायालय या सक्षम अधिकारी के आदेश के बिना उसे छह दिन तक पुलिस लॉकप में कैसे बंद किए रही?
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R. Jayan की रिपोर्ट.