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मध्य प्रदेश

आरटीआई फील्ड में अनूठा काम कर रहे हैं एमपी के राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी

आरटीआई एक्ट की धारा 20 (1) जन्मकुंडली के ग्रहों जैसी अटल, 25 हजार का जुर्माना लगवाएगी, मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी फेसबुक पेज पर प्रदेश के सूचना अधिकारियों से रूबरू

भोपाल। मध्य प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी वीडियोकॉल पर सुनवाई और व्हाट्सएप पर ही आदेश भेजने के बाद अपने फेसबुक पेज के जरिए प्रदेश के 55 सरकारी विभागों में कार्यरत् हजारों लोक सूचना अधिकारियों से रूबरू हुए हैं। आरटीआई के केसों को निपटाने की समझाइश अनूठे तरीके से दी है। उन्होंने लिखा है कि आरटीआई एक्ट की धारा 20 (1) जन्मकुंडली के ग्रहों की तरह अटल है, जो जानकारी समय पर नहीं देने की हालत में 25 हजार रुपए का जुर्माना लगवाएगी ही।

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यह अकेला एक्ट है, जो पंचतत्व में विलीन या सुपुर्दे-खाक होने तक पीछा नहीं छोड़ता। आपका तबादला हो गया हो या आप रिटायर हो गए हों, इससे बच नहीं सकते। बरसों पहले टेबल पर लंबित छोड़ा गया आरटीआई का कोई आवेदन आपकी आखिरी पेंशन में से भी 25 हजार रुपए का जुर्माना कटवा देगा। इसलिए बेहतर है कि सूचना के अधिकार के सारे आवेदनों का त्वरित निराकरण करके ही कुर्सी छोड़ें। किसी अपील या आयोग के आदेश का इंतजार न करें।

कोरोना के कारण लॉकडाउन के दौरान आरटीआई की अपीलें अपने मोबाइल फोन पर वीडियोकॉल के जरिए सुनने और व्हाट्सऍप पर तत्काल फैसले देकर एक ही दिन में आदेश पर अमल कराने से चर्चा में आए सूचना आयुक्त तिवारी ने अपने फेसबुक पेज पर पहली बार लोक सूचना अधिकारियों से बात की है।

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उन्होंने कहा कि वे कामकाज का ढर्रा बदलें। तकनीक का इस्तेमाल करें। डाक से पहले व्हाट्सएप पर ही जवाब दें। वे हर जानकारी देने के लिए मजबूर नहीं हैं, लेकिन देेने योग्य जानकारी देना उनकी ड्यूटी है और इसमें टालमटोल या लापरवाही 25 हजार के जुर्माने के दायरे में लाएगी। अधिकारी आरटीआई का काम अपने दफ्तर के सबसे काबिल, ईमानदार और दक्ष क्लर्क को ही सौंपें। एक आलसी या कामचोर क्लर्क भी अपनी लापरवाही से आपको 25 हजार के जुर्माने की जिल्लत से सामना करा सकता है।

तिवारी ने कहा है कि कोरोना ने हमें यही सिखाया है कि किसी भी काम के लिए बाहर आना-जाना न्यूनतम करें। मेलमुलाकातों के बिना आधुनिक तकनीक से ही अपने ज्यादातर काम चलाएं। आयोग में आधे घंटे की सुनवाई के लिए डेढ़ हजार किलोमीटर ट्रेन से भोपाल आने की नौबत आनी ही नहीं चाहिए। इससे बचते हुए लंबित मामलों को निपटाएं।

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यह मामूली सा बदलाव सरकारी दफ्तरों की खराब छवि को बदलने में काफी मददगार साबित होगा। वे इस फेसबुक पेज पर आरटीआई के रोचक मामलों की भी चर्चा करेंगे और अच्छी तरह कानून का पालन करने वाले लोक सूचना अधिकारियों की कहानियां भी सुनाएंगे। तिवारी 25 साल मीडिया में रहे हैं और उनकी छह किताबें छपी हैं। सूचना आयोग में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा न के बराबर होने से तिवारी ने पिछले महीने मोबाइल फोन पर केसों की सुनवाई शुरू की थी। यह प्रयोग काफी सफल रहा।

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