दिल्ली से हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर लिमिटेड प्रबंधन के करतूत की एक दिल दुखा देने वाली खबर आ रही है। यहां जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार कर्मचारियों को वेतन और उनका बकाया ना देना पड़े, इसके लिये प्रबंधन उन लोगों से जबरी त्यागपत्र लिखवा रहा है और टार्गेट कर रहा है जिन्होंने अपने हक के लिए अदालत में केस नहीं लगाया है और ना ही लेबर विभाग में क्लेम किया है।
इसी क्रम में हिन्दुस्तान प्रबंधन ने अपने मार्केटिंग डिपार्टमेंट में काम करने वाले अरविन्द शर्मा नामक मीडियाकर्मी से जबरन कुछ दिन पहले त्यागपत्र लिखवा लिया था। इस अप्रत्याशित घटना और नौकरी जाने से दुखी अरविन्द शर्मा सदमे में थे। मेट्रो के अंदर तनाव के दौरान ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उन्होंने प्राण त्याग दिए।
इस घटना के बाद हिन्दुस्तान के ही नहीं देश भर के पत्रकारों में जमकर गुस्सा है। चर्चा है कि अरविन्द शर्मा को १८ जनवरी के आसपास हिन्दुस्तान मीडिया वेंचर लिमिटेड के कार्मिक निदेशक राकेश गौतम ने गुड़गांव बुलाया और जबरन रिजाईन लिखवा लिया। इस दौरान अरविन्द शर्मा ने काफी अनुनय विनय की। अरविंद ने काम का टार्गेट पूरा होने की बात कही और जबरन त्यागपत्र लिखवाने का औचित्य पूछा मगर उनकी एक नहीं सुनी गयी। बताया जा रहा है कि राकेश गौतम का दिल नहीं पसीजा और उन्होंने इस कर्मचारी से त्यागपत्र लिखवा लिया।
जबरी त्यागपत्र लिए जाने से अरविन्द शर्मा काफी सदमे और तनाव में थे। 27 जनवरी को नयी दिल्ली के मेट्रो में यात्रा करते समय अरविन्द शर्मा को अचानक हृदयाघात हुआ और मौत हो गयी। लगभग ४२ साल के अरविन्द शर्मा की मौत के बाद हिन्दुस्तान टाईम्स के कार्मिक प्रबंधक शरद सक्सेना और राकेश गौतम को अस्पताल में इस कर्मचारी के पोस्टमार्टम के दौरान कई बार देखा गया। इसके बाद अंदाजा लगाया जा रहा है कि हिन्दुस्तान प्रबंधक अब पूरे मामले की लीपापोती में लग गया है। इस घटना के बाद से देश भर के मीडियाकर्मियों में गुस्से का माहौल है। जिसे भी यह जानकारी मिल रही है वह हिंदुस्तान प्रबंधन की लालची और संवेदनहीन प्रवृत्ति की निंदा कर रहा है।
अरविन्द शर्मा के बारे में सूचना है कि वे जयपुर के रहने वाले थे। उनके कुछ साथी उनके शव को लेकर जयपुर रवाना हो गए हैं। उधर इस मामले में हिंदुस्तान मीडिया वेंचर लिमिटेड का कोई पक्ष अब तक सामने नहीं आया है कि इस कर्मचारी से जबरी त्यागपत्र लिखवाया गया था या नहीं। फिलहाल हिन्दुस्तान प्रबंधन के पक्ष का इंतजार है।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट
मुंबई
९३२२४११३३५
anu chauhan
January 29, 2017 at 10:46 am
shame shmae
अरुण श्रीवास्व
January 29, 2017 at 3:30 pm
बहुत ही दुखद निंदनीय। दोषियों कोसजा मिलनी चाहिए। वैसे त़ो अपने लेखों में बड़ा क्रांति बघारता है शशि शेखर।