प्रयागराज। नगर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सुरेंद्र वर्मा का रविवार की
दोपहर दो बजे उनके निवास स्थान सकुर्रलर रोड, राजापुर स्थित निवास पर
निधन हो गया। शाम 6: 30 बजे दारागंज स्थित शवदाह गृह उनका अंतिम संस्कार
किया गया। दामाद राजेश श्रीवास्तव ने मुखाग्नि दी। 92 वर्षीय डॉ.
सुरेंद्र वर्मा काफी समय से अस्वस्थ चल रहे थे। रविवार की दोपहर निधन हो
गया। उनके परिवार में पत्नी और दो पुत्रिया हैं। मूलत: मैनपुर जिले के
रहने वाले डॉ. वर्मा विद्यार्थी जीवन से ही प्रयागराज में रह रहे थे।
सरकारी डिग्री कॉलेज में प्राचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। ये
पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी में अहिंसा, शांति-शोध और मूल्य शिक्षा
विभाग के आचार्य और अध्यक्ष रहे थे।
इनके कुल छह व्यंग्य संग्रह, छह काव्य संग्रह, पांच गद्य की पुस्तकों के
साथ दर्शनशास्त्र और मनोविज्ञान पर इनकी नौ पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा पुस्तक ‘साहित्य, समाज और रचना’ पर
इन्हें महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान और व्यंग्य संग्रह ‘हंसो लेकिन
अपने पर’ शरद जोशी सर्जना पुरस्कार से इन्हें नवाजा गया था। सुरेन्द्र
वर्मा गांधी-दर्शन के विशेषज्ञ थे। इनका शोध कार्य गांधी दर्शन के
तत्वमीमांसात्मक पक्ष पर है। यह अंग्रेज़ी में ओरिएंट लोंगमैंस द्वारा
प्रकाशित हो हुआ था। गांधी पर इनके दर्शन आलेख और शोध पत्र
पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित होते रहे हैं।
गुफ़्तगू के अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी, अशोक श्रीवास्तव कुमुद, डॉ.
वीरेंद्र तिवारी, नरेश महरानी, अनिल मानव, मुनेश्वर मिश्र, नीना मोहन
श्रीवास्तव, अर्चना जायसवाल, दया शंकर प्रसाद, डॉ. नायाब बलियावी, भारत
भूषण वार्ष्णेय आदि ने गहरा दुख व्यक्त किया है।