Rizwan Chanchal-
जन पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों पर भी निशाना साध निरंकुश निज़ाम ने अपना षड्यंत्री रुख साफ कर दिया है मनदीप पुनिया जो किसानों के आंदोलन की तस्वीर व सच्चाई को लाइव कर रहे थे गिरफ्तार कर लिए गए साफ है कि वर्तमान निज़ाम यह कतई नही चाहता कि उसके खिलाफ कोई भी आवाज़ उठे उसने अब पत्रकारों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है किसान आंदोलन की जमीनी रिपोर्ट सामने लाने की सज़ा मनदीप पुनिया को चुकानी पड़ी है ।
यही नही नेशनल हेराल्ड की वरिष्ठ संपादकीय सलाहकार और लेखिका मृणाल पांडेय,न्यूज एंकर राजदीप सरदेसाई, कौमी आवाज़ के संपादक जफ़र आगा, कारवाँ पत्रिका के मुख्य संपादक परेशनाथ और कार्यकारी संपादक विनोद जोस पर भी देशद्रोह का मामला दर्ज कर दिये जाने की खबर है अन्य कई पत्रकारों पर भी मुकदमे दर्ज किए गए है बीते दो महीने से किसान आंदोलन की जमीनी रिपोर्ट कवर कर रहे फ्री लांसर युवा पत्रकार मनदीप पुनिया को गिरफ़्तारी के बाद दिल्ली में कुछ पत्रकार आक्रोश व्यक्त कर उनकी रिहाई व दर्ज मुकदमा वापस किये जाने की मांग करते हुए सड़कों पर धरना प्रदर्शन करने निकल पड़े हैं ।
निज़ाम की इन कार्यवाहियों से साफ है कि उन पत्रकारों पर दमनात्मक कार्रवाइयों का सिलसिला शुरू हो चुका है जो निज़ाम की किसी कमजोरी को जनता को सामने रख आईना दिखाने की कोशिश कर रहे है ऐसे में हमारी आपकी चुप्पी हमको आपको भी आगे अपराधी का तमगा दे सकती है जनसरोकार की खबर हमको आपको भी जेल के सीखचों में कैद करवा सकती है अब यदि लोकतांत्रिक उसूलों और दिखावटी नैतिकता को दर किनार कर पत्रकारिता सिर्फ और सिर्फ निज़ाम के गुणगान के लिए ही हो तो फिर लोकतंत्र के मायने ही क्या रहे,फिर तो लोकतंत्र मात्र संविधान की किताब में ही कैद होकर रह जाएगा।
बीते दो माह से चल रहे किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए जो कुछ हुआ और जो हो रहा है वह सच जब धीरे-धीरे आम जनता के सामने आने लगा तो निजाम की बौखलाहट बढ़ गई। पत्रकारों पर होती ये कार्रवाइयां अब साफ कर रही है कि षड्यंत्र और निरंकुश आचरण ही निज़ाम का अब एकमात्र हथियार बचा है ऐसे में निज़ाम के इस दमन और विभाजनकारी मंसूबों के खिलाफ पत्रकार साथियों का एकजुट होना जरूरी है आइये विचार करे और एक जुट हों आज इन साथियों को निज़ाम के षड्यंत्र का शिकार होना पड़ा है कल आप भी हो सकते है ……
रिज़वान चंचल
राष्ट्रीय महासचिव
जन जागरण मीडिया मंच
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