उदयन शर्मा उन पत्रकारों में से थे, जिन्होंने हिंदी पत्रकारिता को दीन-हीन अवस्था से उबारकर उसे सम्मान दिलाया। उदयन शर्मा मरते दम तक सांप्रदायिक ताकतों से लोहा लेते रहे। 11 जुलाई को उनका जन्म दिन है। इस दिन उदयन शर्मा फाउंडेशन ट्रस्ट हर साल ‘संवाद’ नाम से एक आयोजन करता है, जिसमें किसी विषय पर गोष्ठी होती है। 23 अप्रैल 2001 के बाद से यह सिलसिला जारी है। मैं हर साल इस आयोजन में जरूर शिरकत करता रहा हूं। लेकिन इस बार पसोपेश में हूं कि जाऊं या नहीं?
वजह यह है कि इस बार का विषय है, ‘इस चुनाव में मीडिया की भूमिका’। यहां तक भी कोई परेशानी नहीं है। परेशानी यह है कि इस बार के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भाजपा अध्यक्ष और गृहमंत्री राजनाथ सिंह हैं। हैरत यह है कि जिन ताकतों के खिलाफ उदयन शर्मा लिखते रहे, उन्हें उनकी याद में किए जा रहे कार्यक्रम में कैसे मुख्य अतिथि बनाया जा सकता है। उदयन शर्मा मेरे आइडियल रहे हैं। वह जिस बेबाकी से लिखते थे, उसका असर मेरे ऊपर है। जो कुछ मैं 11 जुलाई को होने जा रहे कार्यक्रम के बारे में बेबाकी से लिख पा रहा हूं, यह मैंने उदयन शर्मा से ही सीखी है।
सलीम अख्तर सिद्दीकी
Saleem Akhter Siddiqui
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