यशवंत सिंह-
इस देश में करोड़ों निवेशकों को अरबों रुपये सहारा समूह दबाए है लेकिन लोकतंत्र का हर स्तंभ मौन है. निवेशक खून के आंसू रो रहे हैं लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं है. मोदी सरकार ने भी कह दिया है कि सहारा की संस्थाओं द्वारा भुगतान न किए जाने से व्यक्तिगत निवेशकों पर होने वाले असर से संबंधित कोई डॉटा उनके पास उपलब्ध नहीं है.
दुर्भाग्य है कि दिन रात हिंदू मुस्लिम बहस के माध्यम से सत्ताधारियों के पैर सहलाते न्यूज चैनल भी सहारा द्वारा बेसहारा किए गए लाखों निवेशकों के सवालों पर मौन हैं. लोकसभा में सहारा के मुद्दे पर सवाल जवाब हुआ लेकिन किसी मीडिया हाउस ने इसे नहीं दिखाया और न ही बताया.
पिछले दिनों लोकसभा में महाबली सिंह और राजशिरोमणि शर्मा ने वित्त मंत्री से सहारा समूह को लेकर कुछ सवाल किए. पेश है नीचे सवाल और मोदी सरकार की तरफ से वित्त मंत्री द्वारा दिया गया जवाब. ध्यान दीजिए, निवेशकों की संख्या तीन करोड़ से उपर है. मतलब इस देश के तीन करोड़ निवेशक अपने पैसा फंसे होने को लेकर त्राहि त्राहि कर रहे हैं लेकिन न्याय इनके लिए नहीं है. सहारा वाले कोर्ट कचहरी पुलिस सबको ठेंगा दिखाते हुए अपने महलों में मौज मजे में हैं.
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