सहारा निवेश घोटाला अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बनने जा रहा है. कई बरसों से पैसा दबाए सहारा समूह अपने निवेशकों को खून के आंसू रुला रहा है. सरकार-सत्ता और मीडिया चुप है क्योंकि सब सहारा से ओबलाइज हैं. इस कारण सहारा के निवेशकों को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ रही है.
सबसे ज्यादा परेशान हैं सहारा के वे एजेंट जिन्होंने लोगों को समझा बुझा कर सहारा में निवेश के लिए राजी किया. अब जब निवेशकर्ताओं को उनके पैसे नहीं मिल रहे हैं तो वे एजेंटों के गर्दन पकड़ रहे हैं. ऐसे में कई संवेदनशील एजेंट सुसाइड कर चुके हैं. पर इन सबसे मोटी चमड़ी वाले सुब्रत राय को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उनकी और उनके परिजनों की अय्याशी में कोई कमी नहीं है.
वैसे भी सुब्रत राय की उम्र हो गई है. उनकी उम्र जेल से बाहर कटे या जेल के भीतर, क्या फर्क पड़ता है. जेल जाएंगे तो दो चार किताब फिर लिख देंगे. असली मुसीबत तो निवेशकों की है जो गरीब मजदूर, किसान, नौकरीपेशा लोग हैं. ये लोग दो दो रुपये जोड़कर पैसे इकट्ठे किए थे. सबके अपने सपने थे. किसी ने बिटिया ब्याहने के लिए पैसे जमा किए तो किसी ने बुढ़ापे के लिए रुपये जोड़े. पर सहारा सब निगल गया.
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