नितिन त्रिपाठी-
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की हैडलाइन पढ़ रहा था – भारत में हर दस में सात शादी सुदा महिलायें एक्स्ट्रा मैरिटल संबंध रखती हैं.
यह आर्टिकल बहुत ज्यादा लाइक / शेयर / कमेंट किया हुआ था. इस आर्टिकल को बेस बना कर बहुत सारे कट्टर पुरुष / महिलायें महिलाओं की शिक्षा कपड़े नौकरी पर प्रश्न भी उठाते हैं.
प्रश्न मेरा भी है. दस में सात बहुत बड़ा नंबर है. सबके घरों में शादी सुदा बहन पत्नी माँ भाभी मौसी बुवा होती ही होती है. यदि दस में सात चरित्रहीन होती हैं तो इसमें आपके भी घर की सत्तर प्रतिशत महिलाएँ आ गई ना?
वैसे न्यूज़ डीटेल में पढ़िए तो यह है कि यह सर्वे सेक्स डेटिंग वेब साईट ग्लीडन का किया है. इस सर्वे के पश्चात थोक के भाव में पुरुषों ने ग्लीडन वेब साईट जॉइन की रिकॉर्ड नंबर ऑफ़ यूज़र हैं उनके – सब को वो दस में सात वाली चाहिए ना. बची हुई तीन उनके घरों में हैं सात ग्लीडन में हैं.
आप देखिए अमेरिकन पोर्न इंडस्ट्री में प्लम्बर, पिज़्ज़ा डिलीवरी बॉय, डॉक्टर इस तरह के प्रोफ़ेशन दिखाये जाते हैं, पर भारत में तो दस कदम आगे बढ़ कर वेब सीरीज़ से लेकर एडल्ट कंटेंट में देवर भाभी, जीजा साली, नौकर मालकिन जैसे रिश्ते कलंकित किए जाते हैं. और यह सब देखता / शेयर लाइक कमेंट कौन करता है? हम और आप.
आलोचना के नाम पर भी ग्लीडन के फ़ेक सर्वे को कोट किया जाता है, सबको पता है आज भी भारत में कहीं ऐसा नहीं है कि सत्तर प्रतिशत महिलाओं के विवाहेत्तर संबंध हों, पर ऐसी खबरें टाइटिलेट बहुत करती हैं.
We badly need to grow up. यह जो हो रहा है यह एक सेक्स कुंठित परवर्टेड समाज की निशानी है.
विनोद
April 23, 2023 at 4:52 pm
यह भारतीय संस्कृति को बदनाम करने की सोची समझी साज़िश है माया नगरी में ऐसा पाया जाता होगा ! माया नगरी की जिहादी सोच वाली मानसिकता है ! गंदी फ़िल्में गंदी ओटीटी बाले कंटेंट बनाकर सनातनी कैल्चर को बदनाम करने की पुरानी सोच है ! जो लगता ९० दसक के बाद से चली आ रही है ! फ़िल्मो के माध्यम से हमारे कल्चर पर हमला बंद नहीं हुआ तो फ़िल्मो का बिरोध होगा !