Rangnath Singh-
सोशल मीडिया पर आप किसी एक समुदाय को भेड़ बनाने की ठान लें तो आप आसानी से उनके गड़ेरिये बन सकते हैं। आपको यह उलटबांसी लग रही होगी लेकिन यही सच है।
हम सब के अंदर हर दूसरे व्यक्ति, समाज, जाति, धर्म, देश से जुड़ी पूर्व-निर्मित धारणाएँ जड़ जमाये रहती हैं। प्रबुद्ध व्यक्ति का काम है उन पूर्वाग्रहों को तोड़ना। धूर्त व्यक्ति का काम है आम लोगों के पूर्वाग्रहों का इस्तेमाल करना।
मैं अपनी बात उदाहरण देकर स्पष्ट करना चाहूँगा। अगर मैं सवर्ण हिंदू पुरुषों के पूर्वाग्रहों को पोषित करने लगूँ तो आप देखेंगे कि वो मुझे पहले से ज्यादा फॉलो करने लगेंगे। जैसे, मैं आरक्षण के खिलाफ पचास पोस्ट लिख दूँ तो मेरे कम से कम 500 फॉलोवर जरूर बढ़ जाएंगे। उसी तरह मैं आरक्षण के पक्ष में पचास पोस्ट लिख दूँ तो कम से कम 500 दलित और पिछड़े मुझे फॉलो करने लगेंगे।
इसी तरह अगर मैं भाजपा, कांग्रेस या सपा-राजद किसी के पक्ष या विपक्ष में पचास पोस्ट लिख दूँ तो इन पार्टियों की भेड़ मुझे अपना गड़ेरिया समझने लगेंगीं। लेकिन जनता को भेड़ बनाने वाले प्रबुद्ध नहीं होते, धूर्त होते हैं।
यह भी न समझिएगा कि केवल अनपढ़ या कम पढ़े-लिखे ही भेड़ बनाए जा सकते हैं। सोशलमीडिया ने साबित कर दिया है कि हार्वर्ड और कैम्ब्रिज से शिक्षित-दीक्षित, आला नौकरशाह, न्यायाधीश, प्रोफेसर, इंजीनियर, डॉक्टर आदि को आराम से भेड़ बनाया जा सकता है। बस आपको उनके पूर्वाग्रह को समझना होगा।