लखनऊ से प्रकाशित श्रीटाइम्स अखबार से खबर है कि यहां काम करने वाले कर्मचारी बुरी तरह परेशान हैं. उन्हें तीन महीने से सैलरी के दर्शन नहीं हुए हैं. कई कर्मचारी से सैलरी मिलने की उम्मीद करते करते थक चुके हैं तो कई ने दूसरे अखबारों में अपना आसरा खोज लिया है. यहां कार्यरत कर्मचारियों के सामने भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. कर्मचारियों का दशहरा खराब बीता, अब उन्हें दीपावली भी अंधेरा रहने की आशंका जता रही है.
सूत्रों का कहना है कि पिछले तीन महीने में कर्मचारियों को सैलरी दिए जाने का कई बार आश्वासन दिया गया, लेकिन अब तक सभी की सैलरी नहीं मिल सकी है. बिल्डर मालिक ने कुछ दिनों पहले रायबरेली में अपनी अमीरी की शान दिखाने के लिए मेडिकल कैंप लगवाया था. इसमें एक दर्जन से ज्यादा वाहनों में महंगे-महंगे डाक्टर भरकर ले जाए गए थे. इन्हें भरपूर पैसा भी दिया गया, लेकिन मालिकान के पास अपने कर्मचारियों को देने के लिए पैसे नहीं हैं.
बताया जा रहा है कि श्रीटाइम्स का हाल भी जनसंदेश टाइम्स जैसा हो गया है. शुरू में सही समय पर सैलरी देने वाला श्रीटाइम्स कुछ तथाकथित बड़े पत्रकारों के चक्कर में फंसकर छोटे कर्मचारियों के हितों को नुकसान पहुंचा रहा है. सैलरी से ही अपनी सारी जरूरतें पूरी करने वाले पत्रकार तथा गैर पत्रकार कर्मचारी आर्थिक दुश्वारियों से जूझ रहे हैं. उनका दशहरा तो धनाभाव में खराब रहा, अगर दिवाली से पहले सैलरी नहीं मिली तो यह भी अंधेरे में ही बीतने का अंदेशा है.
emedia
October 16, 2014 at 7:20 am
बिल्डर मालिकों के अखबारों और न्यूज चैनलों का यही हाल है। श्री ग्रुप के न्यूज चैनल श्री न्यूज का भ्ाी यही हाल है। चैनल में स्ट्रींगरों को एक वर्ष से अधिक का मेहनताना नहीं दिया गया। जब स्ट्रींगर कोर्ट जाने की बात करने लगे तो श्री न्यूज के सीओओ प्रशांत द्विवेदी ने सभी स्ट्रींगरों के पेमेंट का लगभग पांच प्रतिशत पेमेंट चेक द्वारा दिया और सारा हिसाब किताब फाइनल कह कर स्ट्रींगरों से हस्ताक्षर करा लिया गया। लोकसभा चुनाव के दौरान सभ्ज्ञी स्ट्रींगरों से काम लेने के लिए लालीपाप दिया गया कि सभी को सात हजार रूपए प्रति माह मिलेंगे लेकिन चुनाव बीतने के बाद कुछ नहीं मिला। और अब जो स्ट्रींगर पेमेंट मांग रहा है उससे कह दिया जा रहा है कि काम करो चाहे मत करो आपकी इच्छा पर पेमेंट नहीं मिलेगी।
gussa
October 16, 2014 at 10:20 am
लखनऊ श्रीटाइम्स अखबार में बस टहलाने वाला खेल चलता है। सबको यहां टहलाया जाता है। कुछ लोग तो कोर्ट जाने की भी तैयारी कर रहे हैं।