अमित चतुर्वेदी-
बीस साल भी नहीं बीते हैं इस बात को जब सुब्रत रॉय सहारा के बेटे की शादी में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन अपने पूरे परिवार के साथ बारात में नाच रहे थे, देश के प्रधानमंत्री घुटने ख़राब होने के बावजूद मंच पर चढ़ कर वरवधू को आशीर्वाद दे रहे थे। देश का कोई ऐसा व्यक्ति नहीं बचा था जिसकी गिनती देश के बड़े लोगों में होती हो और वो उस शादी में लखनऊ न पहुँचा हो, पच्चीसों मुख्यमंत्री पूरी केंद्र सरकार और यूपी सरकार वहाँ थी, लोकसभा, राज्यसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के मेम्बर शायद ही कभी एकसाथ कहीं और जुटे हों।
कभी साइकिल पर घूम घूम कर नमकीन बिस्कुट बेचने वाले सहारा उस वक़्त, आज के अंबानी अड़ानी और टाटा से ज़्यादा शक्तिशाली दिखने लगे थे।
लेकिन अपने शक्ति और साम्राज्य विस्तार के एक कदम में सहारा ऐसे फँसे की अंत तक एकदम बेसहारा और लाचार हो गए और उसी लाचारी की स्थिति में कल वो इस दुनिया से विदा भी हो गए।
उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा रहा होगा कि रोशनलाल नाम का एक आदमी जो इंदौर का रहने वाला था वो उनकी जगमगाती हुई दुनिया को बेनूर और कम रोशन कर डालेगा।
क़िस्सा 2009 से शुरू हुआ, सहारा ने अपनी रियल स्टेट कंपनियों के नाम से बॉण्ड जारी किए, 3 करोड़ लोगों ने इन बाँड्स को सब्सक्राइब किया और क़रीब 24000 करोड़ रुपये इस समय सहारा ने इन बाँड्स से जुटाये। इन बाँड्स को जारी करने में सहारा ने सेबी द्वारा स्थापित नियम क़ानूनों की जम कर धज्जियाँ उड़ाईं।
फिर एक रोशनलाल नाम के व्यक्ति ने, सहारा की शिकायत नेशनल हाउसिंग बैंक कारपोरेशन को कर दी, नेशनल हाउसिंग बैंक ने सहारा को उस चिट्ठी के आधार पर नोटिस भेजा, तो सहारा ने बैंक को ये कहकर दुत्कार दिया, कि ये तुमसे रिलेटेड मामला नहीं है, अगर किसी को पूछने का हक़ बनता भी है तो वो सेबी है, तुम इसमें अपनी नाक मत घुसेड़ो। बैंक के अधिकारियों को ये बात बुरी लग गई, उन्होंने रोशनलाल की चिट्ठी और उस पर सहारा के जवाब को अपनी टिप्पणी और जाँच करने के आग्रह के साथ सेबी को भेज दिया।
फिर शुरू हुई सेबी की जाँच, हालाँकि सत्ता के शिखर के तमाम लोगों को अपने जेब में लेकर चलने का मुग़ालता पाले सुब्रत रॉय सहारा ने सेबी की जाँच को भी हल्के में लिया। सेबी ने जब उनसे इन बाँड्स के बारे में पूछताछ की तो सहारा ने 31669 कार्टन से भरे 127 ट्रक भरकर डॉक्यूमेंट्स सेबी के दफ़्तर भेज दिया, कि लो पढ़ लो और कर की जाँच। 127 ट्रकों को सेबी के सामने खड़ा करके सहारा ने ख़ुद को देश की सुर्ख़ियों में ला दिया, मुंबई में सेबी के दफ़्तर के सामने लगे ट्रैफिक जाम ने पूरी मीडिया का ध्यान इस मामले पर आकर्षित कर दिया। उस समय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी थे, प्रणव मुखर्जी ने जाँच पूरी ईमानदारी से हो इस बात को सुनिश्चित करवाया, सेबी ने सहारा से ग़लत तरीक़े से जुटाये निवेशकों के पैसे को 15% ब्याज के साथ लौटने के लिए कहा, सहारा वो पैसा नहीं लौटा पाए। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा और सहारा जेल पहुँच गए, उसके बाद दिन ब दिन सहारा बेसहारा होते चले गये, एयर फॉर जो हुआ हम सबने देखा ही है।
इसीलिए आप मेहनत क़िस्मत और तिकड़म के सहारे भले शिखर पर पहुँच जायें लेकिन दो बातें हमेशा याद रखिए, पहली, अहंकार मत करिए, दूसरी, शिखर पर पहुँचा जा सकता है, शिखर पर घर नहीं बनाया जा सकता, शिखर पर पहुँचने के बाद आपका बर्ताव तय करता है कि आप शिखर पर कितने समय रहेंगे।
RV Singh
November 16, 2023 at 6:43 pm
बिलकुल सही। सहारा श्री ने लाखों निवेशकों की पूंजी एक प्रकार से हड़प ली। 2000 ₹ की पूंजी से शुरू करके इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा किया। कुछ लोगों का कहना है कि एक राजनेता की पूंजी के दम पर वे स्थापित हो सके।
लखनऊ से उन्होंने सहारा एयरलाइन्स शुरू की। सहारा टाइम्स निकाला और लखनऊ को एक अलग पहचान दी। लखनऊ के हजारों लोगों को रोजगार दिया। इस नाते लखनऊ उनका ऋणी है। जय सहारा।
sk
November 17, 2023 at 3:12 pm
किसी खबर को प्रकाशित करने से पहले पूरी जानकारी तो ले लो वरना वो भड़ास की जगह भड़ावा गिरी कहलाएगी
Anoop shukla
November 17, 2023 at 3:33 pm
लेख के अंत में बहुत ही सारगर्भित शब्द लिखे हैं
Nem Singh
November 17, 2023 at 7:15 pm
Esamain badi bhoomika sahara ke legal representative s ki bhi rahi jo sahara ka bhagidar banane ke liye sahara ko litigation main fasate rahe. Satya ko nakara ja sakta hai chhupaya nahin.
दीपक हांडा
November 20, 2023 at 5:31 pm
आदमी कितने भी बड़ा क्यू ना बन जाए.
उसको याद रखना चाहिए की उसके किए हुऐ
बुरे कर्म उसका कभी पीछा नहीं छोड़ते है.
इस लिए ईश्वर से नहीं अपने किए हुऐ बुरे कर्मो से डरना चाहिए.
क्यू की वक्त कभी किसी क़ो नहीं छोड़ता है.
उसने to प्रभु श्री राम ओर श्री कृष्ण क़ो भी नहीं छोड़ा.
तो फिर ये एक सड़ा सा आदमी है.