(रजनीश रोहिल्ला)
Rajneesh Rohilla : सुधीर अग्रवाल जी आग से खेलोगे तो जल जाओगे। बहुत हो चुका। सहने की भी सीमा है। इतना अत्याचारी आपको किसने बनाया? इतने कठोर आप कब से हो गए? क्या पैसों की भूख और धंधे की हवस में सुधीर अग्रवाल सर कहीं खो गए? जिन लोगों ने आपके लिए रात दिन एक किये, आज वो आपके काम के क्यों नहीं रहे? सर मुझे बड़े दुःख के साथ आपको यह कहना पड़ रहा है कि आपके आस-पास मीडिया का तमगा लगाए पत्रकारों का एक ऐसा गिरोह घूम रहा है, जो आपको सचाइयों से बहुत दूर किये हुए है।
बात सिर्फ गुजरात की होती तो मेरे समझ में आती। लेकिन झारखंड, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र सब जगह से मेरे पास इस बात के फोन आ रहे हैं कि आप यानि सुधीर अग्रवाल देश के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मानने के लिए तैयार नहीं है। मैं विनम्रता से कहना चाहता हूँ कि कोटा के मामले में जो निर्णय आपने लिया है, उसे आप तुरंत वापस ले लें। कर्मियों का उत्पीड़न बंद कराएं। उन्हें उनका वाजिब कानूनी हक दिलाएं। कहीं ऐसा न हो कि भास्कर के अंदर बैठी सारी खामोशियाँ किसी बड़े आंदोलन में तब्दील हो जायें।
आपका
रजनीश रोहिल्ला
दैनिक भास्कर
अजमेर
सुप्रीम कोर्ट में केस करके मजीठिया वेज बोर्ड का हक हासिल करने वाले दैनिक भास्कर के वरिष्ठ संपादकीय कर्मी रजनीश रोहिल्ला के फेसबुक वॉल से.
Comments on “क्या पैसों की भूख और धंधे की हवस में सुधीर अग्रवाल सर कहीं खो गए?”
रजनीश जी,
ये पैसे की भूख है ही ऐसी। मैंने कहीं सुना था कि अग्रवाल वो बनिए हैं जो धन को इन्वेस्ट कर लोगों को जोड़ते हैं और रोजगार के अवसर पैदा करते हैं। उनकी विस्तार की होती है, लेकिन मजीठिया को लेकर अग्रवाल बंधु कर रहे हैं, वह अग्रवालों को अलग ही इमेज बना रहा है। लोगों को न्याया दिलाने का दम भरने वाला मीठिया खुद तानाशाह हो गया है। और तानाशाहों का हस्र क्या होता है यह सभी को पता है।
Bhaskar’s top management has no knowledge about basic truths..
देश का नंबर वन अखबार होने का दावा करने वाले मालिक अपने पत्रकारों को एक सरकारी चपरासी से भी कम वेतन में १२ से १८ घंटे काम लेते हैं। मजीठिया के नाम लेने पर ही नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाते हैं।
bhaskar walo ne mujhse ek saal tak kaam kraya nahi paise nahi diye..