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सुख-दुख

पचास साल के हुए एनडीटीवी वाले सुशील बहुगुणा!

प्रिय दर्शन-

अयोग्य पत्रकारों से भरी और शोहरत और पुरस्कारों के गुरूर की मारी टीवी की दुनिया में जो कुछ लोग मुझे वाकई सम्माननीय लगते हैं, उनमें सुशील बहुगुणा बहुत ऊपर हैं। उन्होंने इस माध्यम का सबसे रचनात्मक इस्तेमाल किया है।

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साफ़-सुथरी भाषा लिखते हैं, बहुत विनम्र और शालीन हैं- और जो उनका देय है, वह भी मांगने में संकोच करते हैं। एक पेशेवर पत्रकार को कैसा होना चाहिए- वे इसकी मिसाल हैं।

बेशक, मैं उनसे कुछ और अध्ययन की अपेक्षा करता रहा हूं और कई बार उनके वैचारिक रुख़ को अपर्याप्त पाता रहा हूं, लेकिन इसके बावजूद अपनी मेहनत, अपनी मेधा, अपनी वैचारिक ईमानदारी से वे हमेशा दर्शनीय काम करते रहे हैं। पहाड़ के हैं, पहाड़ों की सैर के शौक़ीन भी हैं, पर्यावरण को लेकर विशेष सजग हैं और मित्रों को लेकर उदार भी।

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अब उनसे पहचान और मैत्री के बीस बरस हो गए। वे आज पचास साल के हो गए। युवाओं की तरह हम सब यहां आए थे और अब धवलकेशी होकर एक पूरी उम्र का निकलना देख रहे हैं। हालांकि टीवी की दुनिया यह अवकाश नहीं देती कि आप बहुत गपशप कर सकें, लेकिन फिर भी आत्मीयता का एक तार हमारे बीच बंधा रहता है।

आज उनका जन्मदिन है। लगा कि उनको बधाई दिए बिना दिन अधूरा रहेगा।

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दो तस्वीरें हैं- एक हमारे संपादक सुनील सैनी जी ने खींची हैं और दूसरी हमारे डेस्क की युवा सुपर संपादक समीक्षा शर्मा ने।

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