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सुख-दुख

तैमूर को छोड़िए, पहले ये बताइए-‘आप किस खेत की मूली हैं’


AMITABH K. BUDHOLIYA-

मैं घर के बाहर बारिश की वजह से उग आई घास छील रहा था, तभी हाथ में थैला लटकाए मियाँ मसूरी आते दिखे। जैसे ही वो निकट पहुँचे, मैंने मुस्कराकर टोका-“मियाँ सुबह-सुबह थैला लटकाए किधर को”?

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मियाँ ने गहरी साँस खींची-“सलाद का सामान लेने निकला हूँ। बीवी का हुक्म है।”

मैंने चिकोटी काटी-“मेरे लिए भी 2-4 मूली लेते आना।”

मियाँ ने बुरा-सा मुँह बनाया-“मूली?…मैं मूली नहीं खाता। मूली से गैस बनती है और गैस से पाद छूटता है। पाद से बदबू आते ही आसपास के लोग यूँ घूरते हैं, जैसे-मूली खाना कोई जुर्म है और वे सूली पर लटका देंगे।”

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मैंने पलटवार किया-“मियाँ! मूली को इतना मामूली क्यों समझ रहो हो? बड़ी-बड़ी सेलिब्रिटीज अपने खेतों में मूली उगा रहे हैं और उनका मूल पाठ बड़े-बड़े मीडिया छाप रहे हैं।”

मियाँ ने हैरानी जताई-“लेखक महोदय! आप मूली के मार्फत कहना क्या चाहते हैं, हमें अपने कर्त्तव्य-पथ पर जाने से न भटकाइए, मेहरबानी करके मूल-बात पर आइए!”

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मैंने दार्शनिक अंदाज में कहा-“मेरे कहने का आशय सिर्फ इतना है कि बगैर मूली के सलाद बेस्वाद। इसलिए अपने लिए भी कुछ मूली लाइए और 2-4 मेरे लिए भी लेते आइए। मैं नमक के साथ मूली खाऊंगा। कई रोज से बदहजमी है। मूली खा लूँगा, तो गैस बनेगी और पाद निकलते ही आराम मिलेगा। फिर मैं भी अपने इंस्टाग्राम, फेसबुक-ट्वीटर वगैरह पर मूली के साथ फोटो शेयर कर सकूँगा। जैसे करीना कपूर ने अपने बेटे तैमूर की मूली के साथ की है। वाह! तैमूर की क्या दुर्लभ तस्वीर है। पब्लिसिटी के मामले में मूली ने तो आज प्याज को रुला दिया।”

मियाँ ने उलाहना दी-“अच्छा! ठीक है, तो आप बताइए…आपके लिए किस सेलिब्रिटी के खेत की मूली लाएं?”

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मैंने जवाब दिया-“हम ठहरे आम आदमी, आप तो किसी के भी खेत की मूली ले आइए…हमें तो बस मूली के साथ अपना फोटो खींचकर सोशल मीडिया पर शेयर करना है।”

मियाँ ने आँख तरेरी-“आप क्या ‘तैमूर’ हैं, जो आपकी मूली के साथ तस्वीर देखकर मीडिया खबरें छापेगी? अरे लोग कहेंगे- इस आदमी के मुँह मत लगना, इसने मूली खाई है।”

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मैंने समझाया-“मियाँ मैं जानता हूँ कि मेरी तस्वीर को उतने लाइक्स नहीं मिलेंगे, लेकिन जितने भी थम्ब्स मिलेंगे, यकीनन वे मूली लवर्स होंगे।”

मियाँ ने सवाल दागा-“उससे क्या होगा?”

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मैंने योजना बताई-“फिर मैं सोशल मीडिया पर एक मूली लवर्स ग्रुप बनाऊंगा। फिर देखना…सब मूली के साथ अपना-अपना फोटो शेयर करेंगे और एक दिन ऐसा आएगा, जब लोग मुझे ‘मूली-इन्फ्लूएंसर’ के तौर पर जानेंगे। फिर हमसे कोई यह नहीं कहेगा कि हम किस खेत की मूली हैं!”

मियाँ खीज गए-“लेखक महोदय, लगता है आप सनक गए हैं। हमारी नेक सलाह है कि आप मूली को छोड़िए और मीडिया को अपना मूल्यांकन करने दीजिए! क्योंकि तैमूर की जिस मूली को खाकर मीडिया ने पाद मारा है, उसकी सड़ांध से लोगों के नाक-मुँह बन गए हैं। ऐसा न हो कि किसी दिन फँला मीडियावालों से लोग पूछने लगें-तुम किस खेत की मूली? और हाँ, आप भी चुपचाप घास छीलिए…क्योंकि आम आदमी सिर्फ घास छील सकता है, मूली पकड़कर खबर नहीं बन सकता।”

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मैंने गहरी साँस खींची-“बात तो तुम्हारी सही है मियाँ। देखो, हम बेरोजगार घास छील रहे, लेकिन मीडिया ध्यान तक नहीं दे रही है‌!”

मियाँ ने जाते-जाते चुटकी ली-“देश में लाखों बेरोजगार घास छील रहे, मीडिया को क्या पड़ी? हां; अगर आपको मीडिया की सुर्खी बनना है, तो घास छीलकर खाइए भी। फिर उसे खाते हुए 1-2 बढ़िया सी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर दीजिए। फिर देखना मीडिया कैसे आपके पीछे पड़ जाएगी…फिर शासन-प्रशासन-मीडिया हर कोई आ-आकर पूछेगा-भाई साब! आखिर आप किसी खेत की मूली हैं?”

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इस व्यंग्य के लेखक अमिताभ बुधौलिया हैं. उनसे संपर्क 8462002596 के जरिए किया जा सकता है.

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