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मुंबई के निर्भीक पत्रकार उन्मेष गुजराथी ने क्यों दिया ‘दबंग दुनिया’ से इस्तीफा?

मुंबई : अखबार की आड़ में गुटका व्यवसाय करने वाले व्यापारी ने पेड न्यूज के लिए स्थानीय संपादक पर बनाया दबाव। मालिक की मनमानी से तंग मुंबई के जाने माने निर्भीक पत्रकार उन्मेष गुजराथी ने दबंग दुनिया को किया राम राम। ज्ञात हो कि उन्मेष गुजराथी अंग्रेजी, मराठी और हिन्दी तीनों भाषा में पत्रकारिता करते है।

दो दशकों से मुंबई की पत्रकारिता में सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार उन्मेष गुजराथी ने मालिक की मनमानी और अवैधानिक दबाव को मानने से इनकार करते हुए दबंग दुनिया के संपादक पद से अपना त्यागपत्र दे दिया। इस विषय में जब श्री गुजराथी से पूछा गया तो उन्होंने आपसी सामंजस्य के अभाव की बात कही और ज्यादा टिप्पणी से इनकार कर दिया। बहुत कुरेदने पर भी कुछ नहीं बताना चाहते हैं, सिर्फ यह कहकर चुप हो जाते हैं कि, जब तक वहाँ का दाना पानी था, तब काम किया, अब जहाँ का लिखा बदा होगा, वहाँ जाकर काम करुंगा… पत्रकारिता जगत में यह सामान्य बात है।

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सूत्रों की मानें तो मालिक का दबाव होता था कि सरकार और उसके वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ पहले खबर लिखकर छापो और बाद में उनसे कुछ लाख रुपये लेकर उसी खबर को उनके पक्ष में कर दो। प्रबंधन की इस बात से सहमत हो पाना गुजराथी को मुश्किल जान पड़ता था। संपादकीय विभाग का मानना था कि अखबार में छपने वाली खबर न किसी के पक्ष में और ना ही विपक्ष में हो।

सरकार जनहित में निर्णय ले रही हो तो शासन के नीतियों की प्रशंसा के साथ समाचार प्रसारित करना चाहिए। यदि सरकार की नीतियाँ जनहित में न हो तो हमे शासन की जनविरोधी कुनीतियों को भी जनता के सामने उजागर करने में हिचकिचाहट नहीं होना चाहिए। कुल मिलाकर मामला पैसों की खातिर सिद्धांतों से समझौता करने के लिए बनाया जा रहा अनावश्यक दबाव का था।

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जब पैसा लेकर खबर लिखने के बाबत (पेड न्यूज) यह कहा गया कि इससे अखबार की विश्वसनीयता पर विपरीत असर पड़ेगा तो दबंग दुनिया का प्रबंधन मंडल आग बबूला हो गया। उसके बेतुके तर्क को न स्वीकार कर पाने वाले उन्मेष गुजराथी तत्काल प्रभाव से अपनी कुर्सी छोड़ अलग हो गये। श्री गुजराथी महाराष्ट्र में दबंग पत्रकार के रूप में परिचित हैं जिन्होंने अब तक कईयों के अंतर्वस्त्र तक के माप बता दिये।

सरकार और कार्पोरेट हाऊस के सामने हाथ बांधे नतमस्तक खड़े रहने वाले पत्रकारों की भीड़ से अलग छाप छोड़ने वाले उन्मेष ने दबंग दुनिया के लिए किये गये अपने आठ माह के कार्यकाल में चिंडफंड घोटाला, फर्जी विश्वविद्यालय, बैंक घोटाला, रिलायन्स सेझ मामला, एल एण्ड टी स्कैम,स्व.जज लोया और अमित शाह जैसे ज्वलंत पेचीदे मामलों को बड़े बेबाकी से समाज के सामने लाकर उजागर किया। मुंबई जैसे बहुभाषी महानगर में मात्र साढ़े तीन हजार (3500) अखबार छपकर बंटने वाले पेपर की प्रसिद्धि और उसमें छपी खबर को असरदार बनाने के लिए वे दिन रात अथक परिश्रम करते रहते थे। अपने स्वयं के सोशल मीडिया के माध्यम से खबर को शासन, प्रशासन और जनता पहुँचाने और उससे संबंधित अमल के लिए सतत लगे रहते थे।

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रुझान को ध्यान में रखते हुए अखबार के प्रबंधन ने संबंधित कंपनियों से मेल मिलाप कर आगामी चुनाव में अवैध तरीके से धन जुटाने का गुजराथी पर दबाव बनाना शुरु कर दिया। राजनितीक पार्टियों से सौदेबाज़ी कर खबर लिखने की हिदायतें मिलने लगी। सबूतों के साथ समाचार लिखने वाले गुजराथी ने कभी भी कोर्ट के कटघरे तक प्रबंधन को नहीं जाने दिया। परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के साथ स्वयं सम्माननीय न्यायालय के आदेशानुसार उपस्थित होते रहे। ऐसा जीवट व्यक्ति ने प्रबंधन के प्रलोभन में आने की बजाय, अपने पद से इस्तीफा देना अधिक बेहतर समझा। सूत्रों की माने तो उन्मेष जल्द ही किसी अंग्रेजी अखबार के साथ जुड़कर अपनी नई पारी की शुरूआत करने वाले हैं।

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