जयपुर : राजनीति और मीडिया से जुड़े लोग उपरोक्त हेडलाइन सुनकर आश्चर्य चकित जरूर होंगे लेकिन ये ध्रुव सत्य है। ऐसा राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी कर चुके हैं। उनके इस निर्णय के बाद पूरे राज्य में मीडिया वाले आंदोलन कर रहे हैं तथा राज्यपाल को ज्ञापन दे रहें हैं , मगर न तो राज्यपाल कल्याण सिंह सुन रहे हैं न अध्यक्ष और न मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कुछ बोल रहे हैं।
मीडिया कर्मियों ने पिंकसिटी प्रेसक्लब से राजभवन तक मूक मार्च कर राज्यपाल की अनुपस्थिति में उनके सचिव को ज्ञापन दिया। राज्य के सबसे बड़े पत्रकार संगठन आई एफ डब्ल्यू जे ने तहसील स्तर तक अध्यक्ष के निर्णय के खिलाफ ज्ञापनों की श्रंखला शुरू कर रखी है। उधर विधानसभा के अंदर मीडिया कर्मियों ने सदन की कार्यवाही का विरोध कर अध्यक्ष के कार्यालय के आगे धरना देना शुरू कर रखा है।
अध्यक्ष ने असंवैधानिक तरीका अपना कर बजट सत्र शुरू होने से ठीक पहले पत्रकार दीर्घा सलाहकार समिति का गठन किया जिसमें मनमाने तरीके से अनुभवहीन व अपने पसंद के चंद पत्रकारों को शामिल कर अपना निर्णय उस समिति के नाम से थोपते हुए विज्ञप्ति जारी करा दी, जिसमें मुख्य बिंदु ये थे…
पत्रकारों की संख्या 700 तक पहुंच गई इसलिए प्रवेश पत्रों में कटौती की जा रही है। इस कारण समाचार पत्रों के सर्कुलेशन के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा। स्वतंत्र पत्रकारों की संख्या कम की जाएगी। साथ ही साप्ताहिक पाक्षिक पत्रों को भी प्रवेश नहीं देंगे। पासधारियों को प्रेस गैलरी, प्रेसरूम के अलावा कहीं जाने की अनुमति नहीं होगी।
इस कारण प्रवेश पत्रों पर नीले रंग का ठप्पा जड़ा गया जिस पर उपरी इबारत अंकित है। उपरोक्त सभी निर्णयों को अध्यक्ष ने समिति का बताया है। साथ ही संसद का हवाला देते हुए कहा है कि वे वही व्यवस्था राज्य विधानसभा में लागू कर रहे हैं। सदन में उपरोक्त मुद्दा जब विपक्ष ने उठाया तो विद्वान अध्यक्ष ने जवाब में कहा वे लोकप्रिय नहीं अनुशासन प्रिय अध्यक्ष बनना चाहते हैं।
छुटियों के बाद सदन की बैठक 8 जुलाई को पुनः शुरू होगी उसी दिन मीडिया कर्मी एक दफा फिर प्रेस क्लब से विधानसभा तक जुलूस निकालकर ज्ञापन देने जाएंगे जिसमें चार मांगे होंगी।
1-प्रवेश पत्र की पुरानी व्यस्था लागू हो
2- समिति भंग कर सभी पत्रकार संगठनों को प्रतिनिधत्व दिया जाये
3-इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों सहित मीडिया कर्मियों को विधानसभा भवन में प्रवेश दिया जाए
4- शासन सचिवालय में फोटोग्राफर व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को प्रवेश दिया जाए।
लेखक सत्य परीक जयपुर के वरिष्ठ पत्रकार हैं.