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सियासत

भाजपाई असहिष्णुता अब क्रूरता में बदलने लगी है

ये क्या कर डाला गुस्से में! भाजपाई असहिष्णुता की एक और मिसाल! इनकी असहिष्णुता अब क्रूरता में बदलने लगी है। गाय को छोड़ किसी पशु को भी अब ये नहीं बख्शेंगे। 14 मार्च को देहरादून में जो जघन्य कारनामा इन्होंने किया, वह दिल दहला देने वाला है। मेरे एक मित्र वीर विनोद छाबड़ा ने फेसबुक पर इस कारनामे पर अपनी टिप्पणी के साथ एक घायल पड़े घोड़े की तस्वीर पोस्ट की है।

<p>ये क्या कर डाला गुस्से में! भाजपाई असहिष्णुता की एक और मिसाल! इनकी असहिष्णुता अब क्रूरता में बदलने लगी है। गाय को छोड़ किसी पशु को भी अब ये नहीं बख्शेंगे। 14 मार्च को देहरादून में जो जघन्य कारनामा इन्होंने किया, वह दिल दहला देने वाला है। मेरे एक मित्र वीर विनोद छाबड़ा ने फेसबुक पर इस कारनामे पर अपनी टिप्पणी के साथ एक घायल पड़े घोड़े की तस्वीर पोस्ट की है।</p>

ये क्या कर डाला गुस्से में! भाजपाई असहिष्णुता की एक और मिसाल! इनकी असहिष्णुता अब क्रूरता में बदलने लगी है। गाय को छोड़ किसी पशु को भी अब ये नहीं बख्शेंगे। 14 मार्च को देहरादून में जो जघन्य कारनामा इन्होंने किया, वह दिल दहला देने वाला है। मेरे एक मित्र वीर विनोद छाबड़ा ने फेसबुक पर इस कारनामे पर अपनी टिप्पणी के साथ एक घायल पड़े घोड़े की तस्वीर पोस्ट की है।

तस्वीर में साफ दिख रहा है कि लहूलुहान घोड़े की एक टाग के दो टुकड़े हो गये हैं। अखबारों में छपी रिपोर्ट के अनुसार इस शर्मनाक करतूत को अंजाम दिया है उत्तराखंड के मसूरी क्षेत्र से निर्वाचित भाजपा विधायक गणेश जोशी ने। विधायक जी की इस बेरहम करतूत से जाहिर हो जाता है कि वह जोशीले भाजपाई होने के साथ-साथ भारत मां के सच्चे सपूत हैं।

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मामला यह है कि उस दिन विधायक श्री की अगुआई में भाजपाइयों ने किसी मसले को लेकर ‘शांतिपूर्ण’ जुलूस निकाला था और मुख्य मंत्री आवास की ओर ज्ञापन जैसी कोई चीज देने जा रहे थे। एसएसपी और घुड़सवार दस्ते समेत पुलिस के लोग उन्हें आगे बढ़ने से रोक रहे थे। इसी दौरान बिदके हुए एक पुलिसिया घोड़े ने किसी भाजपा कार्यकर्ता को लात मार दी। बस क्या था, विधायक जी भी बिदक गये और एक पुलिस वाले की लाठी लेकर घोड़े को उसकी औकात बताने लगे। लगता है कि विधायक जी को गुस्से में यह घोड़ा कांग्रेस सरकार के मुख्य मंत्री हरीश रावत का सिपहसालार नजर आया होगा। तभी तो उन्होंने घोड़े को पूरी निर्दयता से सबक सिखाया। अब देखना यह है कि पुलिस और प्रशासन के लोग उन्हें इस अपराध के लिए किस तरह सबक सिखाते हैं !

इस प्रसंग में एक बात याद आती है। हिन्दी के महाकवि बाबा नागार्जुन इस देश के पशु-पक्षियों को भी भारत माता की संतान मानते है। ऐसा उनकी एक कविता में झलकता है। घिनौना माने जाने वाले पशु सूअर के बारे में उनकी एक कविता की पंक्यिां देखिए:

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जमुना किनारे मखमली दूबों पर 

पूस की गुनगुनी धूप में पसर कर लेटी है

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यह भी तो मादरे-हिन्द की बेटी है

भरे-पूरे सोलह थनों वाली।

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हमारे भाजपाई भाई आजकल तिलमिलाये, खिसियाये, घबराये और गुस्साये हैं। हो सके तो उन्हें क्षमा करें!

विनय श्रीकर

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वरिष्ठ पत्रकार

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0 Comments

  1. ankit mishra

    March 16, 2016 at 9:13 am

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