श्रमिक नेता दिनकर कपूर और वर्कर्स फ्रंट ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को योयी सरकार का तुगलकी फरमान बताया…
लखनऊ : योगी सरकार के मुख्य सचिव द्वारा उत्तर प्रदेश में अनिवार्य सेवानिवृत्ति का फैसला तुगलकी फरमान है जिसे वापस लिया जाना चाहिए। यह मांग प्रेस को जारी अपने बयान में यूपी वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने की। उन्होंने कहा कि सरकार ने सेवाओं में गति व दक्षता सुनिश्चित करने के नाम पर सरकारी कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति करने का जो फैसला लिया है वह एक तरह से वरिष्ठ राज्यकर्मियों की पीठ में छुरा घोंपना है।
राज्य कर्मचारियों को जिदंगी की उम्र के उस पड़ाव में जब वह अपनी ऊर्जावान नौजवानी सरकार की सेवा में खपा चुके हों और उनकी परिवारिक जिम्मेदारियां उनके सिर पर हों, योगी सरकार द्वारा सीधे उन्हें नौकरी से बाहर करने का तुगलकी फरमान दरअसल वरिष्ठ राज्यकर्मियों की पीठ में घुरा घोंपना ही है। यूपी वर्कर्स फ्रंट योगी सरकार से अपने इस तुगलकी फरमान पर पुर्नविचार करने और इसे अविलम्ब वापस लेने की मांग करता है।
श्रमिक नेता दिनकर कपूर ने बताया कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश में जिन पूववर्ती शासनादेशों का जिक्र किया गया है, उसकी भाषा इसके निहितार्थ को सामने लाती है। शासनादेश कहता है कि ‘50 वर्ष की आयु प्राप्त किसी सरकारी सेवक को उसके नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा बिना कोई कारण बताये तीन मास की नोटिस अथवा तीन मास का वेतन देकर जनहित में अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किया जा सकता है।‘
इससे स्पष्ट है कि ‘गति‘ व ‘दक्षता‘ की चाश्नी में लपेट कर असली काम कार्यरत कर्मचारियों की छटंनी कर उन्हें पहले से मौजूद बेरोजगारों की फौज में शामिल होने के लिए मजबूर करना है। यदि गति और दक्षता की बात ही है और कोई कर्मचारी इसे नहीं पूरा कर रहा तो दण्ड़ देने के और भी तरीके कर्मचारी सेवा नियमावली में है जैसे पदोन्नती रोकना, वेतन वृद्धि पर रोक लगाना, चेतावनी देने, प्रतिकूल प्रविष्टी देना आदि-आदि और यह भी की जब भाजपा की केन्द्र सरकार पूरे देश में कौशल विकास के नाम पर ढिढ़ोरा पीट रही है तो कर्मचारियों की दक्षता बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण भी तो दिया जा सकता है।
पर यह न करके कर्मचारियों को जिदंगी की उम्र के उस पड़ाव में जब वह अपनी ऊर्जावान नौजवानी सरकार की सेवा में खपा चुके हो और उनकी परिवारिक जिम्मेदारियां उनके सिर पर हों, सरकार द्वारा सीधे उन्हें नौकरी से बाहर करना बेहद अफसोसजनक है। यूपी वर्कर्स फ्रंट राज्य सरकार से अपने इस तुगलकी फरमान पर पुर्नविचार करने और इसे अविलम्ब वापस लेने की मांग करता है।
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