लो जी, योगी सरकार ने वरिष्ठ राज्यकर्मियों की पीठ में छुरा घोंप दिया

श्रमिक नेता दिनकर कपूर और वर्कर्स फ्रंट ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश को योयी सरकार का तुगलकी फरमान बताया…

लखनऊ : योगी सरकार के मुख्य सचिव द्वारा उत्तर प्रदेश में अनिवार्य सेवानिवृत्ति का फैसला तुगलकी फरमान है जिसे वापस लिया जाना चाहिए। यह मांग प्रेस को जारी अपने बयान में यूपी वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने की। उन्होंने कहा कि सरकार ने सेवाओं में गति व दक्षता सुनिश्चित करने के नाम पर सरकारी कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति करने का जो फैसला लिया है वह एक तरह से वरिष्ठ राज्यकर्मियों की पीठ में छुरा घोंपना है।

आरक्षण खत्म करने में लगी मोदी सरकार

लखनऊ : मोदी सरकार दलित, आदिवासी व पिछड़े समाज के सामाजिक न्याय के अधिकार को खत्म करने में लगी हुई है। पदोन्नति में आरक्षण के दलितों के संविधान में प्रदत्त मूल अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए संसद में लम्बित बिल को मोदी सरकार ने वापस ले लिया, सातवें वेतन आयोग में ग्रुप सी और …

समाजवादी राज का सच : मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट नवीन सचिवालय भवन में उडाई जा रही है श्रम कानूनों की धज्जियां

निर्माण मजदूरों की जिदंगी लगी है दांव पर निर्माण मजदूर मोर्चा की जांच टीम की रिपोर्ट

लखनऊ :  ‘अरे साहब आप डाक्टर की बात करते है यहां तो हालत यह है कि यदि कोई मजदूर मर जाए तो लाश का भी पता न चले ठेकेदार उसे अपना मजदूर मानने से ही इंकार कर दे‘ यह बातें शटरिंग का काम करने वाले बाराबंकी के एक निर्माण मजदूर ने आज उ0 प्र0 निर्माण मजदूर मोर्चा की जांच टीम से कहीं। जांच टीम उ0 प्र0 के मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट और विधानसभा के ठीक सामने बन रहे नवीन सचिवालय भवन में निर्माण मजदूरों की कार्यस्थितियों की जांच करने के लिए वहां गयी थी। इस टीम में यू0 पी0 वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर, निर्माण मजदूर मोर्चा के जिलाध्यक्ष बाबूराम कुशवाहा, जिला उपाध्यक्ष राम सुदंर निषाद और केश चंद मिश्रा शामिल थे। जांच टीम ने देखा कि उ0 प्र0 निर्माण निगम द्वारा बनवाए जा रहे नवीन सचिवालय में भवन व अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) अधिनियम 1996, उ0 प्र0 भवन एवं सन्निर्माण (नियोजन तथा सेवा शर्त विनियमन) नियम 2009 के प्रावधानों की खुलेआम धज्जियां उडाई जा रही है।

कांट्रैक्ट के आधार पर काम करने वाले इंप्लाइज पर मोदी सरकार का बढ़ता हमला

देश में सार्वजनिक क्षेत्र में 50 प्रतिशत और निजी क्षेत्र में 70 प्रतिशत ऐसे इंप्लाई हैं जो कांट्रैक्ट पर काम करते हैं। इन कांट्रै्क्ट कर्मियों यानि ठेका मजदूरों की हालत बेहद खराब है। 1990 के बाद ठेका मजदूरों को स्थायी काम में नियोजित करने और इसके जरिए अपने मुनाफे में बेइंतहा वृद्धि करने की दिशा में देश में कारपोरेट घराने बढ़े। कार्य की प्रकृति स्थायी होने के बाबजूद ठेका मजदूर (विनियमन एवं उन्मूलन) अधिनियम की धारा 10 का उल्लंघन करते हुए इन कामों में ठेका मजदूरों को नियोजित किया जाता रहा। सरकार के संरक्षण में सारे श्रम कानूनों को दरकिनार कर यह प्रक्रिया चलायी गयी।

यूपी के पत्रकारों ने अपने खानपान समारोह के लिए इकट्ठा पैसा बीमार पत्रकार को दे दिया

सभी मान्यता प्राप्त साथियों,

एक परंपरा इस बार टूट गई है। चुनाव में आपके 100 रुपए के आर्थिक अंशदान से एकत्र हुए फंड से इस बार नव निर्वाचित समिति आपके सम्मान में लंच का आयोजन नहीं कर सकेगी। साथ मिल बैठकर खाना फिर कभी किसी और मौके पर निश्चित ही होगा। लेकिन इस बार समिति के समक्ष दो विकल्प थे। एक तरफ चुनावी फंड से बचे तकरीबन 30 हजार रुपए से लंच के आयोजन तो दूसरी तरफ हम सब के साथी, पूर्व में मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के सदस्य रहे सुरेंद्र सिंह व उनके परिवार की मदद का विकल्प।

आर्थिक सुधारों के ढाई दशक में कृषि क्षेत्र ही सर्वाधिक उपेक्षित हुआ है : अखिलेन्द्र

: भूमि अधिग्रहण अध्यादेश नहीं समग्र भूमि उपयोग नीति की देश को जरूरत : आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने वाराणसी में आयोजित स्वराज्य संवाद को बतौर अतिथि सम्बोधित करते हुए एनडीए की मोदी सरकार द्वारा तीसरी बार भूमि अधिग्रहण संशोधन अध्यादेश लाने के फैसले की सख्त आलोचना की और इसे मोदी सरकार का लोकतंत्र विरोधी कदम कहा। उन्होंने समग्र भूमि उपयोग नीति के लिए राष्ट्रीय आयोग के गठन को देश के लिए जरुरी बताते हुए कहा कि जमीन अधिग्रहण का संपूर्ण प्रश्न जमीन के बड़े प्रश्न का महज एक हिस्सा है। 2013 का कानून पूरे मुद्दे को सरकारी और निजी एजेसियों द्वारा उद्योग और अधिसंरचना के विकास बनाम जमीन मालिकों और जमीन आश्रितों के हितों के संकीर्ण व लाक्षणिक संदर्भ में पेश करता है। 2013 का कानून बाजार की तार्किकता के बृहत दायरे के भीतर ही इसकी खोजबीन करता है।