इलाहाबाद के पत्रकार संतोष उपाध्याय उसी ट्रेन पर सवार थे, जो कानपुर के पास हादसे का शिकार हुई। संतोष पहले इस ट्रेन के एस-2 कोच में सवार थे, लेकिन हादसे से सिर्फ तीन घंटे पहले दो महिलाओं की गुजारिश पर उन्होंने अपना कोच बदल दिया था। कोच बदलने से संतोष बच गए जबकि उनसे सीट बदलने वाली दोनों महिलाएं हादसे में मर चुकी हैं। इलाहाबाद के शाहगंज इलाके में रहने वाले पत्रकार संतोष उपाध्याय तकरीबन साथ घंटे बाद भी हादसे का वह मंजर याद कर सिहर उठते हैं। उन्हें कोई चोट तो नहीं आई, लेकिन खुद के सही सलामत होने पर उन्हें आज भी पूरी तरह यकीन नहीं होता।
उज्जैन के एक अखबार में काम करने वाले संतोष इंदौर-पटना एक्सप्रेस के एस-2 कोच में सात नंबर बर्थ पर सवार थे, जिसमें सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ। हादसे से तकरीबन तीन घंटे पहले बबीना स्टेशन के पास दो महिलाएं उनके पास आईं और अलग-अलग कोच में बर्थ होने की बात कहकर संतोष से कोच बदलने की गुजारिश करने लगीं। अकेली महिलाओं की गुजारिश पर संतोष ने वह कोच छोड़ दिया और एक महिला के एस-5 की बर्थ नंबर सत्ताइस पर चले गए।
आधी रात को कोच बदलते वक्त उन्हें झल्लाहट आ रही थी, लेकिन उस वक्त उन्हें इस बात का एहसास नहीं था कि यह महिलाएं अपनी जान देकर उनके लिए नई ज़िंदगी का पैगाम लेकर आई हैं। संतोष के मुताबिक कोच बदलने के बाद नई सीट पर उन्हें नींद नहीं आई और हादसे के वक्त तक वह जाग रहे थे। हादसे के बाद इमरजेंसी विंडो से वह किसी तरह बाहर निकले तो ट्रेन का मंजर देखकर काफी देर तक फूट-फूट कर रोते रहे।