पुष्प रंजन-
मोबाईल टीवी की रेटिंग : हवा-हवाई चेहरे भी टॉप फाइव पर नहीं आ सके. यूट्यूबर चैनलों का ज़माना है, जो ट्रेडीशनल टीवी पर भारी पड़ने लगे. आने वाला दिन “बुद्धू बक्सा” के लिए चुनौती भरा होगा. लोग-बाग़ अब ड्राइंग रूम की बजाय, चलते-फिरते अपना स्मार्ट फोन खोलते, समाचार और अपनी पसंद की बहस सुन लेते हैं.
देशबंधु दैनिक का DV Live दूसरे नंबर पर है. और “सत्य हिंदी’, जिसका डंका ख़ूब बजता है, वो नौवें नंबर पर गोते खा रहा है. न्यूज़ लॉन्ड्री है 19 वे स्थान पर.
Data Beings डिज़ीटल मीडिया की गतिविधियों और मार्केट ट्रेंड पर नज़र रखता है. उसकी ताज़ा रिपोर्ट में मोबाईल टीवी की रेटिंग होने लगी है, कि किसके व्यूअर्स कितने हैं, और दर्शकों का शेयर कितना है.
आप भी देखें ये चार्ट-
सत्येंद्र पी सिंह-
आपने नैशनल दस्तक यू-ट्यूब चैनल का नाम सुना है? मेरे मित्रों में तमाम लोग जानते होंगे. तमाम लोग नहीं जानते होंगे. और ज्यादातर लोग तो जानते भी होंगे तो भाव नहीं देते होंगे कि होगा कोई….
देश में बड़े भारी भरकम यू-ट्यूबर हैं. और संभवतः देश का सबसे बड़ा यू-ट्यूबर आज तक है, जो एक संगठित मीडिया हाउस है, जिसके बहुत सारे संसाधन हैं, रिपोर्टर्स हैं, तमाम एजेंसियां उसे खबरें देती हैं.
वही तमाम यू-ट्यूबर वन मैन आर्मी हैं. उनमें ज्यादातर लोगों के पास खुद का ब्रांड नाम है. टेलीविजन समाचार जगत के चमकते सितारे रहे हैं. साथ ही इनके पास मोटा पैसा है, अच्छे घर के हैं.
भारतीय समाज में जिन चेहरों को संभ्रांत, खूबूसूरत माना जाता है, उस तरह का चेहरा और आवाज है. जैसे चैनलों में हुमच हुमचकर बोलते थे, वैसे ही यू ट्यूब पर बोलते हैं. वह स्पेस बनाए हुए हैं.
नैशनल दस्तक के सर्वे सर्वा शंभू कुमार सिंह हैं. मैं करीब 10 साल पहले मिला था. उनकी प्रोफाइल ऐसी है कि अब तक मुझे नहीं पता कि कहां पढ़ाई की, उनके पिताजी क्या करते थे, कहां नौकरी की. अगर कभी मेनस्ट्रीम मीडिया में काम किया भी होगा तो ऐसे संस्थान में नहीं रहे होंगे, या ऐसे पद पर नहीं रहे होंगे, जो याद रखे जाने लायक हो, इसलिए मुझे याद नही है.
लेकिन मैंने शंभू का संघर्ष देखा है. आज फोन किया तो बात हुई, वही उत्साह, वही जोश, वही सम्मान, जो 10 साल पहले था. तबीयत प्रसन्न हो गई.
जैसा कि मैंने कहा कि शंभू की पढ़ाई लिखाई का मुझे नहीं पता. किस संस्थान में काम किया, यह भी नहीं पता. कितनी गर्लफ्रेंड्स हैं, यह भी नहीं पता. बहुजन है, सर्वजन है, बहुजन के बीच छिपा सांप है, संघी है, कंघी है ऐसा भी कुछ नहीं पता. न किसी से कभी दलाली का सुना. बहुत पहले कुछ मित्रों ने उन्हें संघर्ष के समय आर्थिक मदद देने की योजना बनाई थी. उसमें मुझसे भी राय मांगी गई थी तो मैंने कहा था कि बेशक आपलोग उन्हें धन दे सकते हैं. पता नहीं कुछ मिल पाया था या नही.
सबसे अहम बात कि शंभू कौन जात हैं, यह भी मुझे नहीं पता.
राष्ट्रभक्तों के यूट्यूब पर तो जाता नहीं, इसलिए उनका नहीं पता. लेकिन जहां जाता हूं, वहां का बता सकता हूं. रवीश कुमार के 48 लाख, अजीत अंजुम के 32 लाख, पुण्य प्रसून वाजपेयी के 25 लाख, आर्टिकल19 वाले नवीन कुमार के 15 लाख, साक्षी जोशी के 7.5 लाख सबसक्राइबर हैं. नैशनल दस्तक 70.7 लाख सबस्क्राइबर हैं.