लखनऊ : सरकार से धोखाधड़ी कर जेबी अखबार कूटचक्र के नाम पर जबरन धन उगाही करने वाले राजधानी लखनऊ के हज़रतगंज निवासी महेंद्र अग्रवाल और कूटरचित रिकॉर्ड बनाकर इस अखबार का सर्कुलेशन प्रमाणित करने का फर्जीवाड़ा करने वाले गोमतीनगर निवासी चार्टर्ड अकाउंटेंट आलोक श्रीवास्तव आखिरकार कानून की गिरफ़्त में फंस ही गए हैं। राजधानी लखनऊ के थाना हज़रतगंज में इन दोनों अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी की गंभीर धाराओं 419, 420, 467, 468, 471, 384 में प्रकरण अपराध संख्या 431 बीते 01 जून को दर्ज हुआ है जिसकी विवेचना थाना हज़रतगंज के उपनिरीक्षक कृष्णा नन्द तिवारी द्वारा की जा रही है।
लखनऊ की आरटीआई एक्टिविस्ट और समाजसेविका उर्वशी शर्मा द्वारा अपने अधिवक्ता त्रिभुवन कुमार गुप्ता के जरिए सीआरपीसी की धारा 156 (3) में सीजेएम लखनऊ न्यायालय में दर्ज कराये गए आपराधिक वाद पर निर्णय देते हुए लखनऊ की सीजेएम संध्या श्रीवास्तव ने हज़रतगंज के थानाध्यक्ष को आदेशित किया था कि वे दोनों अभियुक्तों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना करें। सीजेएम संध्या श्रीवास्तव के आदेश पर थाना हज़रतगंज के थानाध्यक्ष आनंद कुमार साही ने महेंद्र अग्रवाल और आलोक श्रीवास्तव के खिलाफ मुकद्दमा पंजीकृत कर इसकी सूचना वादिनी उर्वशी को मोबाइल द्वारा दी है।
अधिवक्ता त्रिभुवन ने बताया कि उनकी मुवक्किल द्वारा दायर आरटीआई और हेल्पलाइन पर प्राप्त शिकायतों से यह बात सामने आई कि लखनऊ निवासी महेंद्र अग्रवाल सोनभद्र और लखनऊ से ‘कूटचक्र’ नाम से दो अखबारों को भारी संख्या में छापने का रौब दिखाकर अवैध धन उगाही में लिप्त है जो अपने आप को कथित रूप से इन अखबारों का पब्लिशर, प्रिंटर, एडिटर और ओनर कहता है। त्रिभुवन के अनुसार इन अखबारों के बताई गई संख्या में न छापे जाने और पूरी तरह फर्जी और जेबी दोनों अखबारों की मात्र फाइल कॉपी लखनऊ में ही महेंद्र अग्रवाल द्वारा छापे जाने और कूटरचित प्रपत्र बनाकर सोनभद्र के फर्जी पते पर अखबार का पंजीकरण कराये जाने की बात सामने आने पर यह मामला अदालत के सामने लाया गया जिसमें लखनऊ के चार्टर्ड अकाउंटेंट आलोक श्रीवास्तव ने भी फर्जी प्रिंटिंग प्रेस से अखबारों का बड़ी संख्या में छापा जाना प्रमाणित करने का फर्जीवाड़ा किया।
त्रिभुवन ने बताया कि उनकी मुवक्किल की शिकायत पर सोनभद्र के पुलिस अधीक्षक ने अनपरा थाने द्वारा एक स्थलीय जांच कराई है जिसमें यह सिद्ध हो गया है कि सोनभद्र जिले में न तो ‘कूटचक्र’ नाम के किसी अखबार का कोई कार्यालय है, न प्रिंटिंग प्रेस है, न ही इस अखबार की कोई छपाई होती है। स्थानीय मीडिया को भी ऐसे किसी भी समाचार पत्र के यहां से प्रकाशन की कोई जानकारी नहीं है। बकौल त्रिभुवन उनकी मुवक्किल ने इन अखबारों द्वारा केंद्र और राज्य सरकार से विज्ञापन लेने के अभिलेखों और इन द्वारा अवैध स्रोतों से अर्जित चल-अचल संपत्ति के विवरण को महेंद्र अग्रवाल और आलोक श्रीवास्तव द्वारा कारित किये गये अपराध के साक्ष्य के तौर पर पेश किया है।