मनीष दुबे-
ओपी सिंह को जानते हैं आप… यूपी के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह. बेहद तेज तर्रार और शानदार अफसर रहे. यूपी की कमान संभालने के दौरान, लॉ एंड ऑर्डर को लेकर, योगी जी के नजदीक रहे. रिटायर होने के बाद खो से गए थे. लाइमलाइट से एकदम दूर.
आज अचानक उनके साथ रहे एक आईपीएस ने उनकी चर्चा छेड़ दी. और चर्चा ऐसी छेड़ी की ओपी सिंह जी अचानक लाइमलाइट में आ गए. उन्होंने कहा कि ओपी सिंह जी ने एक आत्मसंस्करण किताब लिखी है. यूपी पुलिसिंग पर अपने अनुभवों को लेकर. किताब का टाइटल है, Crime,Grime and Gumption यानी अपराध, अपराध और अपराध…
ओपी सिंह और उनकी किताब का जिक्र करने वाले शख्स का नाम है, आईपीएस हिमांशु कुमार. 2010 बैच के अफसर हैं. मौजूदा समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक स्पेशल टीम (एसआईटी) में शामिल हैं और मणिपुर हिंसा मामले की जांच कर रहे हैं.
मणिपुर का नाम सुनकर हमें कीड़ा काट गया. हमने एक आईपीएस की थोड़ी बात काटने की हिम्मत जुटाते हुए पूछा- “अच्छा, सर.. लोग कह रहे हैं कि मौजूदा सरकार इस मामले में किसी तरह का दबाव बना रही है?” आईपीएस हिमांशु कुमार ने बेहद साधारण अंदाज में जवाब दिया कि, “नहीं अभी तक हम लोगों की नजर में तो ऐसा कुछ नहीं आया है. और उसपर हम लोग किसी का दबाव नहीं मानते.”
खैर, उन्होंने ओपी सिंह जी को लेकर बेहद दिलचस्प बातें भड़ास से शेयर कीं. सबसे पहली ये कि, उन्होंने अपनी इतनी पुलिसिंग में ओपी सिंह..जैसा अफसर नहीं देखा. जमीनी पकड़ वाले. बिल्कुल ग्राउंड लेवल काम करने वाले. सही मायनो में उन्होंने अपने समय यूपी पुलिस को जो स्वरुप दिया वो अभी तक यूपी पुलिस में नजर आता है. आप सीआईएसएफ में देखिए, एनडीआरएफ में देख लीजिए.
ओपी सिंह के साथ अपनी पोस्टिंग के समय, अपने दिनों को याद करतो हुए हिमांशु कुमार ने भड़ास4मीडिया को बताया, “ओपी सर, जब यूपी डीजी बनकर आए थे तो उस वक्त की जो कार्यप्रणाली रही..पुलिसिंग में उसका जिक्र भी किताब में किया गया है. किताब में जो यूपी का चेप्टर है उसमें मेरा और आईपीएस मोहित गुप्ता का जिक्र किया गया है. मैं तो भूल भी गया था, लेकिन सर को सारा का सारा किस्सा याद है. ज्यों का त्यों लिखा है.”
मैं उन दिनों डीजी हेडक्वार्टर में ही तैनात था. 3 से 4 महीने रहा. साल 2018 में आपको याद होगा, लखनऊ व आस-पास बड़ी लूट, डकैती और तमाम तरह के अपराध हो रहे थे. कोई बांग्लादेशी गिरोह टाइप का कुछ था. लगातार अपराध हो रहे थे. डीजी सर ने मुझे और मोहित गुप्ता को बुलाया. हम लोग केबिन में गए तो उन्होंने हमसे कहा कि, “लखनऊ का एक्सरे करना है.”
हम लोग तैयार हो गए. टीम बनाई गई. मैं और आईपीएस मोहित गुप्ता साथ में पुलिस टीम. रात को निकलना, थाने जाना, हेल्प कॉल कर रियलिटी चेक करना… काकोरी तक हमने अलर्टनेस रखी. कंप्लेन इत्यादि चेक करते थे. मतलब उन्होंने उस समय अफसरों को ग्राउण्ड पर उतरना, रियलिटी टेस्ट करना और औचक निरीक्षण वगैरा की कार्यशैली दी. इसके बाद मैं एसपी रेलवे बनकर इलाहाबाद आ गया था. तो उस समय का जो ये सब एक्टिविटी और रूटीन रहा सर ने बिल्कुल वैसे ही किताब में समेट रखा है.
आज जब मैने पढ़ा तो उन्हें थैक्यू बोला है.”
हिमांशु कुमार ने अपने ट्वीट में लिखा, “आपका आभारी ओपी सिंह सर, सर को उनके संस्मरण- क्राइम, ग्राइम और गमशन में इस तरह के उल्लेख के लिए. उनके कुशल नेतृत्व में सेवा करना एक सच्चा सौभाग्य है.”
बता दें कि यह किताब पेंगुईन इंडिया से प्रकाशित हुई है. नीचे देखें… और भी तस्वीरें हैं…