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टेलीग्राफ ने लिखा- ‘कश्मीर में हम उन्हें गोली मार देते हैं, केरल में उन्हें श्रद्धालु कहते हैं’

किसी के लिए हिंसा महत्वपूर्ण है तो किसी के लिए कांग्रेस की रणनीति

अंग्रेजी अखबार, द टेलीग्राफ ने आज पहले पन्ने पर छह कॉलम में एक फोटो छापी है जिसका शीर्षक सात कॉलम में है – कश्मीर में हम उन्हें गोली मार देते हैं. केरल में उन्हें श्रद्धालु कहते हैं. इसका कैप्शन एक कॉलम में इस प्रकार है – सबरीमला मंदिर में 50 साल से कम की दो महिलाओं के प्रवेश के विरोध में संघ परिवार की एक इकाई ने गुरुवार को राज्य में जबरन बंद कराने की कोशिश की। केरल के पलक्कड में पुलिस पर पत्थर फेंकते हुए प्रदर्शनकारी। उत्तरी केरल का गेटवे पलक्कड सबसे बुरी तरह प्रभावित रहा क्योंकि संघ परिवार के कार्यकर्ता दंगाई हो गए थे. कई सरकारी और निजी बसों, कारों, दुकानों और पुलिस की गाड़ी पर पत्थरों डंडो और सरियों से लैस युवाओं ने हमले किए. माकपा और भाकपा ने अपनी संपत्ति पर हमले के जवाब में कार्रवाई शुरू की. नतीजतन सड़कों पर जमकर संघर्ष हुआ. रायट (दंगा) पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने में चार घंटे लगे.

द टेलीग्राफ का पहला पन्ना

अखबार ने इसके साथ छपी खबर का शीर्षक लगाया है, “परिवार केरल की आग से खेल रहा है”. (अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर मामले में फैमिली सोनिया गांधी परिवार के लिए लिखा जा रहा है. लेकिन आमतौर पर संघ परिवार के लिए परिवार लिखा जाता है). बैंगलोर डेटलाइन की इस खबर में कहा गया है, सबरीमला मंदिर में दो महिलाओं के प्रवेश के विरोध में संघ परिवार द्वारा प्रायोजित शटडाउन (बंदी) के नाम पर केरल में गुरुवार को कई जगह कानून को खत्म करने और न्यायिक प्रक्रिया को ब्लैकमेल करने के मकसद से खूब गुंडागर्दी हुई. जवाबी कार्रवाई का आरोप सत्तारूढ़ माकपा पर है और इसमें मंदिर से जुड़े एक व्यक्ति की मौत हो गई. तीन भाजपा समर्थकों को थ्रिसूर में चाकू मारा गया।

समझा जाता है कि संघ परिवार मानता है कि मंदिर मुद्दे पर ध्रुवीकरण का यह सुनहरा मौका है जिससे राज्य में आवश्यक आधार हासिल किया जा सकता है जहां इस समय यह छोटी खिलाड़ी है. ताकत दिखाने का यह खेल न्यायपालिक पर दबाव बनाने की कोशिश के रूप में भी देखा जा रहा है. अभी से कोई तीन हफ्ते बाद सुप्रीम कोर्ट में उसके आदेश की समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई होनी है जिसके जरिए उसने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को खत्म कर दिया है. इस मामले का ज्यादा प्रभाव इसलिए भी है कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर भी सुनवाई होनी है और राष्ट्रीय राजनीतिक नेतृत्व “परंपरा” को कानून से ऊपर रख रहा है.

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राजस्थान पत्रिका का पहला पन्ना

कांग्रेस की राज्य इकाई इस मामले में आलाकमान की लाइन से अलग चल रही है और कल काला दिवस मनाया. अखबार ने कांग्रेस के विरोध की खबर अलग से छापी है. और बताया है कि काला झंडा लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री के काफिले को रोकने का प्रयास किया और इस चक्कर में घायल हो गए. इससे संबंधित इंडियन एक्सप्रेस की खबर में कहा गया है कि कांग्रेस नेता स्थानीय राजनीति के भाग के रूप में अपना विरोध जारी रख सकते हैं लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस सांसदों को महिलाओं के मंदिर प्रवेश का विरोध नहीं करना है.

केरल के सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी. सुप्रीम कोर्ट ने यह रोक हटा दी है और कहा है कि यह संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के मुताबिक हर किसी को, बिना किसी भेदभाव के मंदिर में पूजा करने की अनुमति मिलनी चाहिए. सबरीमाला मंदिर के पदाधिकारियों ने दावा किया था कि भगवान अयप्पा, जिनका यह मंदिर है, वो “अविवाहित” थे इसलिए वे इस परंपरा को मानते हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महिलाओं के प्रवेश पर रोक नहीं रहनी चाहिए थी पर अभी तक मंदिर में महिलाओं का प्रवेश सामान्य नहीं हो पाया है. केरल की सरकार महिलाओं का प्रवेश सुनिश्चित करने की कोशिश में है.

बुधवार की रात दो और वीरवार की रात भी एक महिला मंदिर में दर्शन करने में कामयाब रही पर इसका विरोध भी हो रहा है. इस संबंध में नवभारत टाइम्स ने आज पहले पन्ने पर खबर छापी है, सबरीमला पर केरल में चाकू भी चले, पथराव से एक की मौत. अखबार ने कानून व्यवस्था की स्थिति के संबंध में पीटीआई की खबर छापी है और वीडियो पत्रकार शाजिया अली फातिमा की फोटो भी लगाई है. बताया है कि गर्भगृह तक दो महिलाओं के पहुंचने के बाद वह तिरुअनंतपुरम में लोगों की प्रतिक्रिया ले रही थी तो उसपर कुछ लोगों ने हमला कर दिया. आज अलग-अलग अखबारों में छपी इस घटना की रिपोर्ट पढ़िए और तय कीजिए कि आपके अखबार ने क्या बताया और क्या नहीं बताया।

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नभाटा में प्रकाशित तस्वीर में शाजिया रोते हुए अपना काम कर रही है अखबार ने लिखा है कि उसे लात मारी गई, कैमरा छीनने की कोशिश की गई. आंसू आ गए लेकिन उसने तस्वीर लेना नहीं छोड़ा. अखबार ने पहले पन्ने की अपनी इस खबर के साथ बताया है कि सबरीमला मंदिर के पदादिकारियों के खिलाफ दाखिल अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है. वकीलों ने कहा कि महिलाओं के प्रवेश के बाद मंदिर बंद कर दिया गया था और कथित शुद्धिकरण के बाद खोला गया – यह अदालत की अवमानना है. अखबार ने दिल्ली में विरोध की खबर अंदर छापी है और अंतिम पेज पर भी विस्तार से खबर छापी है.

टाइम्स ऑफ इंडिया ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की खबर को लीड बनाया है और बताया है कि बुधवार को दो तथा वीरवार को फिर एक महिला ने मंदिर में दर्शन किए. अखबार ने इसके साथ राज्य भर में विरोध और प्रदर्शन की खबर तथा 745 लोगों की गिरफ्तारी की खबर फोटो के साथ छापी है. पहले पेज पर इन खबरों के साथ अंदर भी खबर होने की सूचना पहले पन्ने पर है. इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर अपने संवाददाता लिज मैध्यू की एक एक्सक्लूसिव खबर छापी है. शीर्षक है, सबरीमला मामले में सोनिया गांधी ने कांग्रेस सांसदों के काले पट्टे लगाने के विरोध को रोक दिया. खबर में कहा गया है कि केरल में अपनी पार्टी की अपील पर बुलाए गए ब्लैक डे का समर्थन करने के लिए राज्य के कांग्रेस सांसदों ने अपनी बांह पर काले पट्टे बांधने की कोशिश की जिसे पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नाकाम कर दिया.

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इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सोनिया गांधी ने एक सांसद को काली पट्टी बांटते देखा तो उन्हें यह कहते हुए रोका कि स्त्री पुरुष समानता और महिलाओं के अधिकारों के पक्ष में है. कहने की जरूरत नहीं है कि यह खबर दूसरे अखबारों में नहीं है ना ही किसी अखबार में प्रमुखता से यह लिखा दिखा कि सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का विरोध कांग्रेस भी दूसरे हिन्दू संगठनों की तरह कर रही है. आजकल भाजपा के पक्ष में और कांग्रेस के खिलाफ खबरें छापने की होड़ में यह तथ्य छूट जाना या इसे तवज्जो नहीं दिया जाना असामान्य है.

हिन्दुस्तान टाइम्स में सबरीमला मंदिर विवाद की खबर लीड है और शीर्षक है, सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश के बाद राज्य में जगहृ-जगह भिड़ंत. उपशीर्षक है, केरल जल रहा है क्योंकि दक्षिणपंथी कट्टरपंथियों ने जबरन हड़ताल थोपी, 1 मरा, 250 जख्मी, मुख्यमंत्री ने कहा असली श्रद्धालु महिलाओं के खिलाफ नहीं हैं. राजस्थान पत्रिका ने इस खबर को कायदे से छापा है. लीड बनाया है और सभी पहलू एक साथ पहले पेज पर ही हैं जिनका हिस्सा अंदर के पन्नों पर है. फ्लैग शीर्षक है, “केरल में प्रदर्शन : 12 घंटे के बंद के दौरान पथराव और चक्का जाम”. मुख्य शीर्षक है, सबरीमला मंदिर में स्त्रियों के प्रवेश पर हिंसा में एक की मौत, 250 घायल. उपशीर्षक है, महिलाओं समेत 1000 पत्रकारों पर हमला. इसके साथ सिंगल कॉलम की खबर है, पत्रकार संघ ने कहा जानबूझकर हमला. इसके साथ महिला कैमरा पर्सन शाजिला अब्दुल रहमान की शूट करते हुए फोटो भी है.

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दैनिक भास्कर में भी यह खबर पहले पन्ने पर है. शार्षक है, सबरीमाला में महिला प्रवेश के खिलाफ केरल बंद, प्रदर्शनकारियों ने फेंके देसी बम एक मौत. इंट्रो है, राज्यपाल ने मुख्यमंत्री विजयन से हिन्सा की घटनाओं पर रिपोर्ट मांगी. कहने की जरूरत नहीं है कि शीर्षक से बात स्पष्ट है. अमर उजाला और दैनिक जागरण में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है.

वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट. संपर्क : [email protected]

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