पैसा हजम, खेल खत्म। प्रिया गोल्ड बिस्कुट कम्पनी के मालिक बी पी अग्रवाल का मीडिया का शौक आखिरकार पूरा हो गया है। बताने वाले बता रहे हैं कि अग्रवाल को अंततः यह समझ आ गया है कि मीडिया की सीढ़ी से राज्यसभा में जाने का उनका ख्वाब अब पूरा नहीं हो सकता। दूसरा इस चक्कर में लाला की जेब में जो गहरे सूराख हुए, उसने लालाजी की सांसे जो फुला दी है सो अलग। तो इन दिनों सूर्या चैनल समूह की इमारत में हालात यह ये है एक तरफ तो खिसियानी बिल्ली अब खंबा नोचने पर उतर आई है और दूसरी तरफ लाला जी अब बाजार में नया बकरा तलाश रहे हैं जिसे सूर्या समूह के चार (एक न्यूज, तीन नॉन न्यूज) चैनल वाला समूह चिपकाया जा सके और ये सफेद हाथी उनके दरवाजे से विदा हो।
खबर पक्की है। बी पी अग्रवाल के स्वामित्व वाला सूर्या समूह बिकने के लिए मीडिया के बाजार में आ गया है। जानकार बताते हैं कि अग्रवाल ने एक ग्राहक पटा भी लिया है। कम्पनी का नाम है, यूवी न्यूज मीडिया एंड कम्युनिकेशन लिमिटेड। यह UVARCL नामक एसेट रिकंस्ट्रक्शन कम्पनी की ग्रुप कम्पनी है। मशहूर फिल्म निर्माता सतीश कौशिक और प्रमोद शर्मा के साथ ही वरिष्ठ पत्रकार मनोज रस्तोगी इस कम्पनी के निदेशक मंडल में शामिल हैं। मनोज रस्तोगी ही इस पूरे प्रोजेक्ट के अधग्रहण को लीड कर रहे हैं।
मनोज रस्तोगी पुराने पत्रकार है, जो टीवी पत्रकारिता, फिल्म निर्माण, डिजिटल जर्नलिज्म, न्यू मीडिया पर गहरी पकड़ रखते हैं। कई दशकों के अपने करियर में उन्होंने अपनी पहचान एक संजीदा और बहुमुखी प्रतिभा संपन्न मीडिया कर्मी की बनाई है। ओमक्स, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड जैसे कॉरपोरेट ग्रुप में महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल चुके मनोज रस्तोगी तहलका, बीएजी फिल्म्स, भास्कर टीवी, न्यूज91, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, जैन टीवी इत्यादि में एडिटर और सीईओ रह चुके हैं। कमलेश्वर, विनोद दुआ, राजीव शुक्ला, नितिन केनी, एन चंद्रा और विपिन हांडा जैसे दिग्गजों के साथ टीवी और फिल्म निर्माण में सक्रिय रहे हैं। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री पर अच्छी पकड़ के साथ ही मनोज रस्तोगी की वेंचर कैपिटल और इन्वेस्टमेंट बैंकिग में गहरे संपर्क हैं।
एक तरफ सूर्या के स्टाफ में एक प्रोफेशनल प्रोमोटर के आने की संभावना से राहत है तो दूसरी तरफ मौजूदा प्रबंधन के तुगलकी फरमान ने उनकी नींद उड़ा रखी है। नौसिखुआ अग्रवाल ने हर ब्यूरो से 15 से 20 लाख का सरकारी विज्ञापन जुटाने का हुक्म दे रखा था अन्यथा कैमरा, लाईव यू वी वगैरह सामान लेकर रविवार को हेड ऑफिस बुलाया है। दो दिन पहले भी टेक्निकल और संपादकीय विभाग के एक दर्जन कर्मियों की छुट्टी कर दी गई है। कब किस पर गाज गिर जाए, कोई नहीं जानता। यहां हर स्टाफ एक अजीब से संशय में, एक विचित्र भयग्रस्त मानसिक स्थिति में जी रहा है।
लाला इसलिए भी बौराया हुआ है क्योंकि उसने चारों चैनल अपनी बिस्कुट कम्पनी में ही पंजीकृत किए हैं, और सरकारी नियमों के चलते चैनल का अधिग्रहण करने के लिए कम्पनी ही हस्तांतरित करनी होगी जिसके चलते पहले अग्रवाल को अपनी कम्पनी का डिमर्जर करना होगा। इसमें समय लगता है, हालांकि अग्रवाल ने इसकी विधिवत प्रक्रिया शुरू कर दी है। आरओसी में आवेदन इत्यादि कर दिया गया है। कर्मचारी इसलिए भी हैरत में है कि एक तरफ पूरे ग्रुप के स्वामित्व के हस्तानांतरण की तैयारी की चर्चा है, वहीं महुआ चैनल के तिवारी को भी अपना एक चैनल लीज पर देने की जुगत में है जिस पर भोजपुरी एंटरटेंमेंट चैनल लाने की योजना है।