बड़े मीडिया हाउसों का शीघ्र पतन हाल-फिलहाल का रोग नहीं है. दिल्ली में मोदी जी और लखनऊ में योगी जी के प्रबंधक बड़े मीडिया हाउसों को अपने अनुकूल करने की पूरी कवायद करते रहते हैं. इसी क्रम में टाइम्स आफ इंडिया लखनऊ के तेवरदार संपादक राजा बोस को हटाकर एक भगवा पत्रकार को संपादक बनाया गया है.
योगी की जीवनी लिखने वाले पत्रकार प्रवीण कुमार को टाइम्स आफ इंडिया लखनऊ का नया संपादक बनाया गया है. वैसे भी, टाइम्स आफ इंडिया के मालिक विनीत जैन स्वीकार कर चुके हैं कि वह खबरों के नहीं बल्कि विज्ञापन बेचने के धंधे में हैं. सो, इस बदलाव पर लोग अफसोस तो जाहिर कर रहे हैं लेकिन इसे कोई अप्रत्याशित घटनाक्रम नहीं मान रहे. यूपी के हिंदी अखबार तो पहले से ही योगीमय हुए पड़े हैं.
ज्ञात हो कि टाइम्स ऑफ़ इंडिया लखनऊ में 10 फरवरी को उलटफेर हुआ. संपादक पद से राजा बोस को हटाया गया और प्रवीण कुमार को आसीन कर दिया गया. बताया जाता है कि राजा बोस से योगी सरकार नाराज थी. राजा बोस छह साल से लखनऊ में टीओआई के संपादक थे.
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, सीएए, एनआरसी से संबंधित खबरों समेत कई चुभने वाली खबरों से योगी सरकार नाराज थी. राजा बोस ट्विटर पर भी योगी सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ मुखर रहते थे. सो, योगी सरकार ने धीरे से टाइम्स आफ इंडिया में छपे यूपी सरकार के विज्ञापनों का भुगतान रोक दिया. प्रबंधन को मैसेज भेजा गया कि राजा बोस को हटाइए.
नए बने संपादक प्रवीण कुमार पहले लखनऊ में ही टाइम्स ऑफ़ इंडिया में डिप्टी रेजिडेंट एडिटर थे. बाद में उन्हें दिल्ली भेज दिया गया था. प्रवीण ने योगी आदित्यनाथ की जीवनी लिखी, ‘योगी आदित्यनाथ: द राइज ऑफ़ ए सैफरन सोशलिस्ट’ नाम से. 26 नवंबर, 2017 को योगी की जीवनी टाइम्स लिटरेचर फेस्टिवल दिल्ली में लोकार्पित हुई. प्रवीण कुमार ने किताब की एक प्रति योगी आदित्यनाथ के पास जाकर उन्हें खुद भेंट की थी.
उधर, राजा बोस का कहना है कि वे लखनऊ में छह साल से थे. उनने खुद प्रबंधन को ट्रांसफर के लिए बोला था. बेटिया दिल्ली में पढ़ाई करती है. दिल्ली वापस आना चाहता था. प्रबंधन ने मेरे अनुरोध को कुबूल कर मुझे दिल्ली बुला लिया.
प्रवीण कुमार की किताब का हिंदी में भी प्रकाशन हुआ, ‘योद्धा योगी: योगी आदित्यनाथ की जीवन यात्रा’ नाम से.
इसका लोकार्पण यूपी के तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक, विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने किया. इसका लोकार्पण यूपी विधानसभा के सेंट्रल हॉल में किया गया था.
प्रवीण कुमार का कहना है कि उन्हें लखनऊ भेजना प्रबंधन का फैसला है. इसके पहले लखनऊ से मुझे दिल्ली भेजा गया, यह भी प्रबंधन का फैसला था. प्रवीण कुमार कहते हैं- हमें आर्डर मिला तो हम दिल्ली से लखनऊ आ गए और राजा बोस को आर्डर मिला तो वो लखनऊ से दिल्ली चले गए. इसमें विज्ञापन रोकने या सरकार की नाराजगी जैसी कोई बात नहीं.