प्रधानमंत्री संदेशखाली पर बोले लेकिन प्रज्वल रेवन्ना और राज्यपाल तथा राजभवन के मामले में चुप्पी साध ली। वे 20-22 साल पुराने मामले याद कर रहे हैं। जवाब उनका भी नहीं दे रहे हैं। भ्रष्टाचारियों को बख्शेंगे नहीं का दावा कर रहे हैं पर 10 साल में किसपर कार्रवाई हुई और जो जेल में हैं उन्होंने उनके रहते भ्रष्टाचार कैसे कर लिया और सबूत नहीं है तो पीएमएलए का मामला बना देने से अपराध कहां साबित होता है जैसे मुद्दों पर कुछ बोल नहीं रहे हैं और चुनाव के समय इंटरव्यू करने वाले का मौका पाने वाले भी पूछ नहीं रहे हैं। जहां तक विपक्ष को स्थान और महत्व देने की बात है, नवोदय टाइम्स का जवाब नहीं है। चुनाव प्रचार शहंशाह बनाम शहजादे का हो चुका है। पर अखबार वाले बता नहीं रहे हैं। वे राहुल के अमेठी से भागने की खबर तो बता रहे हैं पर गुजरात छोड़कर जो 10 साल पहले आया था वह अभी भी यहीं है यह मुद्दा ही नहीं है।
संजय कुमार सिंह
पुंछ में वायुसेना के काफिले पर घात लगाकर किये गये हमले में एक सैनिक के शहीद होने की खबर को आज इंडियन एक्सप्रेस और टाइम्स ऑफ इंडिया ने लीड बनाया है। बाकी के मेरे पांच अखबारों की लीड अलग है। इनमें प्रज्वल रेवना के पिता एचडी रेवन्ना की गिरफ्तारी शामिल है। द हिन्दू में कश्मीर के मतदाताओं को प्रभावित करने की चुनाव आयोग की कोशिश लीड है तो इंडियन एक्सप्रेस में राजनाथ सिंह का इंटरव्यू टॉप पर है। इसमें कहा गया है कि मतदान का प्रतिशत कम नहीं है …. अगर कम होता है तो इसका कारण है कि विपक्ष ने मतदाताओं को उत्साहित नहीं किया है। इस विशेष या एक्सप्रेस इंटरव्यू में राजनाथ सिंह ने कहा है और प्रमुखता से छपा है कि संविधान बदलने की बात कांग्रेस की अफवाह है और अल्पसंख्यक दूसरे दर्जे के नागरिक नहीं हैं।
संविधान बदलने की बात कैसे शुरू हुई (कानून जैसे बदले गये हैं और 10 साल जो काम हुए हैं वह पर्याप्त नहीं हो तो) यह बताने की जरूरत नहीं है लेकिन जब लगा कि चुनाव में उससे नुकसान हो सकता है तो भाजपा ने इसे कांग्रेस के सिर डाल दिया है और कांग्रेस पर झूठे आरोप लगाये जा रहे हैं। यहां तक कि मतदान का प्रतिशत कम होने पर भी। मुझे नहीं पता कि एक्सप्रेस ने इस बात पर चंडीगढ़ से लेकर सूरत, इंदौर और गांधीनगर तक की बात की या नहीं और उसपर क्या जवाब मिला लेकिन मतदान का प्रतिशत कम होने का कारण भी कांग्रेस को ठहराना हास्यास्पद है। अभी मैं शीर्षक और खास खबरों की ही बात करता हूं तो बता दूं कि आज एक खबर है, “सरकार ने प्याज के निर्यात पर लगी रोक हटा दी है”। हिन्दुस्तान टाइम्स में आज यह खबर लीड है।
हिन्दुस्तान टाइम्स में इस खबर को किसानों, व्यापारियों के लिए राहत बताया है। इसके अनुसार यह निर्णय जमीनी रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है जिससे सरकार के अनुसार स्थिति बहुत अच्छी लगती है। इस निर्णय का फायदा महाराष्ट्र के किसानों को होगा जहां अभी मतदान होने हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया में यह खबर सिंगल कॉलम में टॉप पर है और लाल स्याही से शीर्षक है, “महाराष्ट्र की प्याज पट्टी में मतदान से पहले निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाया गया”। ऊपर आप पढ़ चुके हैं कि कम मतदान के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। इंडियन एक्सप्रेस ने इसे एक्सप्रेस एक्सप्लेन्ड में छापा है और सरकारी दलील को प्रमुखता दी है कि रबी की फसल अच्छी हुई है तथा खरीफ की फसल अच्छी होने की संभावना है।
वास्तविकता और सरकारी तर्क जो हो, आप समझ सकते हैं कि किसानों की एमएसपी की मांग पूरी नहीं की गई है, किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए क्या सब किया जाता रहा है और निर्यात से कमाई की संभावना हो तो उसपर रोक थी और अब जब वोट लेने का समय है तो उसे हटाकर किसानों को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है और यह प्रचारित किया जा रहा है कि कम मतदान के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है जबकि बहुप्रचारित अनुच्छेद 370 हटाने के पांच साल बाद भी राज्य में विधानसभा के चुनाव नहीं हुए हैं और लोक सभा चुनाव टालने पड़े हैं और मतदाताओं की दिलचस्पी नहीं होने की खबर आम तौर पर नहीं छपी है। चुनाव के समय ऐसी कार्रवाई आदर्श आचार संहिता के तहत आनी चाहिये पर मोदी जी के अपने बनाये चुनाव आयोग से क्या उम्मीद करें।
प्रधानमंत्री ने दरभंगा में जो कहा वह दिल्ली के अखबारों में पहले पन्ने पर है लेकिन कोलकाता में जो हो रहा है वह नहीं है या उसे प्रमुखता नहीं मिली है। आप जानते हैं कि संदेशखाली में एक तृणमूल विधायक द्वारा महिलाओं के कथित यौन शोषण के मामले में भाजपा और उसके आईटी सेल ने क्या हंगामा मचा रखा था। संयोग से इसी समय प्रज्वल रेड्डी का मामला सामने आ गया तो वह ना भाजपा के आईटी सेल के लिए मुद्दा है ना अखबारों के लिए। और तो और प्रधानमंत्री भी इसपर बोलते रहे हैं लेकिन कोलकाता के राजभवन में राज्यपाल द्वारा महिला के साथ छेड़छाड़ के साथ-साथ प्रज्वल रेवन्ना के मामले में कुछ नहीं बोले हैं। उसका डिपलोमैटिक पासपोर्ट रद्द किये जाने की मांग पर भी चुप्पी है जबकि अमित शाह कर्नाटक सरकार पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगा चुके हैं।
कहने की जरूरत नहीं है कि अखबारों में प्रधानमंत्री और भाजपा नेताओं के आरोप एक तरफा छप रहे हैं। अखबार ने दूसरे दल का पक्ष ले रहे हैं और ना छाप रहे हैं। जो उपलब्घ है उसे प्रस्तुत करने का संतुलन सिर्फ नवोदय टाइम्स ने बना कर रखा है। इस बारे में आगे और विवरण है।
इंडियन एक्सप्रेस में पहले पन्ने पर छपी एक खबर के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस ने एक वीडियो पेश किया है जिसमें एक भाजपाई कह रहा है कि संदेशखाली में जो हुआ वह हमने कराया। जवाब में भाजपा ने एक वीडियो में कहा है, मेरी आवाज से छेड़छाड़ की गई है। द टेलीग्राफ में पूरा मामला लीड है। इसे संदेशखाली टू कहा गया है और फ्लैग शीर्षक के अनुसार, लीक किया गया वीडियो तृणमूल को बदनाम करने की साजिश का खुलासा करता है। शीर्षक है, संदेशखाली का दूसरा अध्याय – अबकी भाजपा पर हमले की टीएमसी की बारी। यहां दूसरी खबर बंगाल पुलिस द्वारा राजभवन से सीसीटीवी का फुटेज मांगने की है।
अमर उजाला में लीड का शीर्षक है, “रेवन्ना गिरफ्तार, अगवा महिला को छुड़ाया”। उपशीर्षक है, जमानत अर्जी खारिज होने के बाद प्रज्वल के पिता को देवगौड़ा के घर से लिया था हिरासत में। यहां प्रधानमंत्री का प्रचार भी है यहां लीड के ऊपर पुंछ की खबर पांच कॉलम में है। टॉप पर तीन कॉलम में जो है उसे मोदी जी का प्रचार कह सकते हैं। शीर्षक है, “भ्रष्टाचार में शामिल एक भी व्यक्ति को नहीं बख्शेंगे : मोदी”। इस खबर के साथ एक खबर का शीर्षक है, 25 वर्षों में भ्रष्टाचार का कोई दाग नहीं। यह प्रधानंमंत्री पर दाग के सवाल का जवाब है। पर मुद्दा यह है कि जिनपर दाग है वह साबित कहां है और क्यों नहीं है। भाजपा के 10 साल के शासन के बाद कहा जा सकता है कि जिनपर दाग हैं उनमें दो तरह के लोग हैं जो भाजपा में हैं और जो भाजपा में नहीं हैं।
जो भाजपा में हैं उनके बारे में मान लिया जाये कि उन्हें राहत मिली हुई है। उनके दाग दिखते नहीं हैं या गिने नहीं जाते हैं और कार्रवाई होनी नहीं है तो जो भाजपा में नहीं हैं उनपर भी भ्रष्टाचार के आरोप साबित नहीं हैं। भले जेल में हैं। और वह जबरदस्ती हो ही सकती है क्योंकि कइयों पर पीएमएलए के केस हैं और हाल में तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने एक टूट्यूब इंटरव्यू में कहा है कि उनपर 500 रुपए का पीएमएलए का केस बनाकर जेल में रखा गया और भाजपा में शामिल होने के लिए यातना दी गई। ऐसे आरोप का क्या कहा जाये। यही नहीं सरकार औऱ प्रधानमंत्री पर अदाणी के संरक्षण देने का आरोप है ही और उनपर एक दो नहीं कई मामले हैं।
मुख्य बात यह है कि अखबार वाले उनसे सवाल नहीं करते हैं इसलिए वे एक तरफा बात करते हैं और वह मन की बात होती है। नवोदय टाइम्स में पहले पन्ने पर आज गाजियाबाद में टाटा स्टील के रीजनल सेल्स हेड की हत्या जैसी स्थानीय खबरें हैं। लेकिन दूसरे पहले पन्ने पर खबरों की अच्छी प्रस्तुति है। प्रचार की जंग शहजादे बनाम शहंशाह है यह किसी और अखबार ने नहीं बताया है। निज्जर की हत्या में तीन भारतीयों की गिरफ्तारी की खबर का फॉलोअप आज के अखबारों में वैसे नहीं है जैसे होना चाहिये था। वह भी नवोदय टाइम्स में ही है। शहजादे बनाम शहंशाह में एक खबर का शीर्षक है, “बिहार के शहजादे के पिता ने गोधरा पर बनवाई थी फर्जी रिपोर्ट : मोदी“। दूसर खबर है, “प्रधानमंत्री मोदी शहंशाह, जनता से उन्हें मतलब नहीं : प्रियंका“। उपशीर्षक है, गुजरात के लोगों का इस्तेमाल कर भूलने का आरोप लगाया।