शिशिर सोनी-
रविवासरीय….बात उन दिनों की है जब लालू यादव की धमक दिल्ली की राजनीति में सिर चढ़ कर बोल रही थी। रेल मंत्री थे। काठ की कुर्सी पर पसीने से तरबतर काम करने वाले रेल कर्मियों को गोदरेज की आरामदायक कुर्सी और एयर कंडीशन रेलवे बोर्ड मुहैया कराने वाले लालू यादव।
रेलवे मंत्रालय की बिल्डिंग का कायाकल्प करने वाले रेलमंत्री रहे लालू यादव। रेलवे की बैलेंस सीट को प्रॉफिट में तब्दील करने वाले लालू यादव। देश, विदेश में तब लालू ही लालू थे। इसी वक़्त शायद “नौकरी के बदले जमीन” मामला हुआ। लालू आरोपी से अभियुक्त बने। सजा मुकर्रर हुई। सजा काटी। ये दीगर है।
तब दैनिक भास्कर के जयपुर संपादक की जिम्मेदारी हमारे परम मित्र रहे अवनीश जैन संभाल रहे थे। अवनीश और हम दोनों भास्कर के नेशनल ब्यूरो में वर्षों संग साथ काम करते हुए अच्छा समय गुजारा था।
अवनीश ने उसी हक से कहा, यार लालू यादव का लैपटॉप पर काम करते हुए एक फोटो चाहिए। सभी संस्करणों में छपने वाली एक स्टोरी के लिए उन्हें off beat फोटो चाहिए थी लालू यादव की। तब लालू यादव को पकड़ना आसान न था। मगर, फोटो के लिए लालू यादव के तत्कालीन सलाहकार रहे मित्र, उर्दू के वरिष्ठ पत्रकार News18 उर्दू समाचार के वर्तमान में संपादक तहसीन मुनव्वर (लैपटॉप थामे) ने तुरंत समन्वय किया और बात बन गई।
ये फोटो मिली तो कई यादें ताजा हो गई। अवनीश जैन अब हमारे बीच नहीं हैं। लालू यादव पर उम्र हावी हो गई है। बीमारी ने रही सही कसर पूरी कर दी है। राजनीति के कई पन्ने पलटे जा चुके हैं। गाहे बगाहे लालू यादव आज भी बोलते हैं तो हेडलाइन बनती है।
तमाम कोशिशों के बावजूद लालू यादव का वोट बैंक खिसकने का नाम नहीं ले रहा। इस बार तो गजब लड़ाई है बिहार में। ऐतिहासिक परिणाम रहेगा। “नदिया के पार” वाली उद्घोषणा करने वाले को भी ये भान हो चला है कि वो “कुआँ के पार” भी मुश्किल से पहुँच सकेंगे।