दैनिक भास्कर उत्तर प्रदेश का दीपक द्विवेदी को बताया गया था मूल स्वामी, प्रधानमंत्री से उदघाटन के नाम पर भी दोनो नटवर लालो ने ठगे लाखों, दोनों की गिरफतारी के लिए वाराणसी पुलिस ने नोएडा पुलिस से मांगा सहयोग
वाराणसी/नोएडा। दैनिक भास्कर उत्तरप्रदेश के वाराणसी संस्करण के प्रकाशन में धोखाधड़ी, ठगी व फर्जी दस्तावेज बनाकर लाखों रुपये ठगने के मामले में भास्कर के प्रधान सम्पादक दीपक द्विवेदी पुत्र हरीशंकर द्विवेदी व मुद्रक प्रकाशक ललन कुमार मिश्रा पुत्र नामलूम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 419, 420, 467, 468, 471, 406 के तहत जिला वाराणसी के थाना लंका में दैनिक भास्कर वाराणसी संस्करण के स्थानीय सम्पादक डा, वरूण उपाध्याय ने के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।
खास बात यह है कि इस फर्जीवाडे में आरोपियों ने प्रधानमंत्री से वाराणसी संस्करण के उदघाटन कराने का भी झांसा पीड़ित को दिया था। इसलिए तहरीर देने के लगभग एक सप्ताह बाद पुलिस के आला अधिकारियों ने इस तहरीर का बड़ी बारीकी से अध्ययन किया था। जब पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों को प्रथम दृष्टया यह मामला न्याय संगत लगा तो एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी किया।
रविवार 17 मई 2020 को इन दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। मामला दर्ज होते ही दैनिक भास्कर उत्तर प्रदेश के लखनऊ और नोएडा संस्करण में हड़कंप मचा हुआ है। ललन मिश्रा और दीपक द्विवेदी की दबोचने के लिए वाराणसी पुलिस ने इनके छिपने के ठिकानों पर दबिश डालने के लिए कई टीमे भेजी हैं। इस सिलसिले में नोएडा पुलिस से भी वाराणसी पुलिस ने सहयोग मांगा है।
लंका थाना में विस्तार से दर्ज करायी गयी रिपोर्ट में पीडित डा. वरूण कुमार उपाध्याय ने अपने साथ हुई लगभग 96 लाख तीस हजार की ठगी-धोखाधड़ी को बड़ी बेबाकी और तफसील से उल्लेख किया है। बकौल दर्ज एफआईआर डा. वरूण ने आरोप लगाया है कि जब 2019 में उन्हें वाराणसी का ब्यूरो चीफ बनाया गया था तो उस ऐवज में भी ललन कुमार मिश्रा ने अपने आप को दैनिक भास्कर का निदेशक बताकर मोटी रकम ऐंठी थी।
इसी कड़ी में डा. वरूण से ललन कुमार मिश्रा ने 50 हजार और दस हजार के दो चैक 19 फरवरी 2020 को लिए थे। सैंतीस हजार का चैक 29 मार्च 2019 को दैनिक भास्कर लखनऊ व मनुश्री क्रिएशसन्स के खाते में जमा कराये थे। तीन हजार नकद दैनिक भास्कर लखनऊ कार्यालय में जमा कराये थे। इसके बाद इतनी मोटी रकम देने के बाद उन्हें दैनिक भास्कर वाराणसी का ब्यूरो चीफ का पहचान पत्र दिया गया।
यानी कि दैनिक भास्कर में दीपक-ललन ने पहचान पत्र जारी करने का कारखाना चलाया हुआ था। जब ललन कुमार मिश्रा को यह पता चला कि डा. वरूण उपाध्याय पैसे वाले आदमी हैं तो ललन ने एक षडयंत्र के तहत अगस्त 2019 में डा. वरूण उपाध्याय की भेंट दीपक द्विवेदी से यह कहके करायी कि दीपक दैनिक भास्कर उत्तर प्रदेश के स्वामी हैं और वाराणसी से दैनिक भास्कर का संस्करण शुरू करना चाहते हैं। इसका सम्पादक भी आपको बनाया जायेगा।
इस बातचीत में यह तय हुआ कि पांच वर्ष की लीज पर तीस लाख रूपये में इस अखबार का संस्करण आपको सौंपा जायेगा। दीपक और ललन के सब्जबाग से आश्वस्त होकर डा. वरूण उपाध्याय ने 15 लाख दैनिक भास्कर नोएडा के एचडीएफसी बैंक में व आठ लाख रूपये नकद किश्तो में जमा कराये।
आपको बता दे कि तीस लाख की लीज संबंधी प्रपत्र खुद ललन मिश्रा ने गैर कानूनी ढंग से तैयार किया जो दीपक द्विवेदी को सम्बोधित था। यह अनुबंध मूल स्वामी संजय अग्रवाल ही कर सकते थे। ललन मिश्रा एक मामूली कर्मचारी है। अनुबंध का कार्य विधिक रूप से करने के लिए वह अधिकृत नहीं था।
खास बात यह है कि वाराणसी संस्करण का उदघाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कराने के नाम पर इनने डा. वरूण से सिंडिकेट बैंक का चेक अंकन पांच लाख रूपये अलग से वसूले थे। मजे की बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा वाराणसी संस्करण का उदघाटन नहीं हुआ। अलबत्ता 29 सितम्बर 2019 को मुद्रक प्रकाशक ललन कुमार मिश्रा खुद मुख्य अतिथि बनकर वाराणसी संस्करण का उदघाटन कर आये।
ललन ने उस समय डा. वरूण को आश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री से कोई अगली डेट लेकर बाद में उदघाटन करा दिया जायेगा। इसके बाद दिसम्बर 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से वाराणसी संस्करण का लोकापर्ण कराने के नाम पर आठ लाख रूपये का चैक फिर ले लिया। इसी बीच डा वरूण को जब यह आभास हुआ कि उसके साथ धोखाधडी हो रही है तो डा.वरूण ने इस चेक का आहरण रुकवा दिया।
खास बात यह है कि वाराणसी संस्करण का घोषणा पत्र भी ललन ने खुद जिलाधिकारी वाराणसी कार्यालय में जमा किया था। जबकि इस घोषणा पत्र को जमा करने का अधिकार सिर्फ दैनिक भास्कर के मूल स्वामी संजय अग्रवाल के पास था।
मनुश्रीक्रिएशन्स नामक कम्पनी के पास दैनिक भास्कर के नोएडा और लखनऊ संस्करण को चलाने का अधिकार संजय अग्रवाल ने दिया हुआ है। वाराणसी संस्करण के प्रकाशन का घोषणा पत्र मूल स्वामी संजय अग्रवाल ही जमा कर सकते थे। जब इस जालसाजी का आभास डा. वरूण उपाध्याय को हुआ तो डा. वरूण ने 4 फरवरी 2020 एक कानूनी नोटिस ललन कुमार मिश्रा और दीपक द्विवेदी को भेजकर वाराणसी संस्करण पर अब तक नकद व प्रकाशन आदि पर खर्च हुए लगभग 78 लाख रुपये वापस करने के लिए कहा।
इस नोटिस की प्रतिलिपि दैनिक भास्कर उत्तर प्रदेश के मूल स्वामी संजय अग्रवाल को भी भेजी गयी थी।
मजे की बात यह है कि जब दीपक और ललन को लगा कि ठगी का उनका यह खेल खत्म हो गया है तो डा. वरूण पर दबाव बनाने के लिए ललन कुमार मिश्रा ने जिलाधिकारी वाराणसी को वाराणसी संस्करण का प्रकाशन बंद करने के लिए पत्र लिख दिया, जिसके चलते आठ मई 2020 को जिलाधिकारी वाराणसी ने दैनिक भास्कर वाराणसी संस्करण को बंद करने का आदेश जारी कर दिया।
वाराणसी संस्करण बंद करने की ललन मिश्रा और दीपक को इतनी खुशी थी कि सोशल मीडिया के अलावा उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी अधिकारियों के व्यक्तिगत वाटसऐप नम्बर पर इस पत्र की प्रतियां इनके गुरगो ने वायरल की थी। ललन और दीपक के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर की प्रतिलिपि भड़ास के पास मौजूद है जिसे हम पाठको के लिए नीचे प्रकाशित कर रहे हैं-
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