बाराबंकी : कोठी थाने परिसर में एक महिला को जिन्दा फूंक डाला गया। बुरी तरह जल चुकी महिला ने मरने के पहले बयान दिया था कि पुलिसवालों ने पहले तो उसके साथ बलात्कार की कोशिश की, और जब उसने विरोध किया तो पुलिसवालों ने उसे जिन्दा फूंक दिया। कल लखनऊ में इस महिला ने दम तोड़ दिया लेकिन अब तो कमाल हो गया है साहब, कमाल…
लगता ही नहीं है कि फैजाबाद के डीआईजी और बाराबंकी के पुलिस कप्तान हमारे लोकसेवक हैं। बाराबंकी के बड़े दारोगा अब्दुल हमीद का बोलना है कि:- मृत्युपूर्व बयान से क्या हुआ। उसका कोई मतलब नहीं। अगर कोई मतलब है भी, तो भी सिर्फ मामले की फाइल के एक हिस्से भर तक। माना कि यह जली हुई महिला ने मरने से कोई बयान दिया भी, पुलिसवालों ने ही उसे जिन्दा फूंक डाला था। लेकिन इससे यह कैसे हो सकता है कि केवल मृत्यु-पूर्व बयान पर थानाध्यक्ष, दारोगा समेत सभी पुलिसवालों को गिरफ्तार कर लिया जाए। नहीं नहीं, इस एसओ और दारोगा की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी।
इतना ही नहीं, फैजाबाद के डीआईजी वीके गर्ग का जवाब तो और भी निहायत बेहूदा है। गर्ग का कहना है कि:- क्या विवेचना करने वाला दारोगा लगता हूं। यह काम विवेचक का है, वह ही जानता होगा कि क्या हुआ और क्या नहीं। मैं इस बारे में कुछ भी नहीं बोलूंगा। पुलिस अपना काम कर रही है। डिस्टर्ब मत कीजिए। काम सरकारी है, मजाक नहीं।
और सबसे दिलचस्प बयान दे रहे हैं हमारे चुलबुल पांडे टाइप आईजी ( लोक शिकायत) अशोक मुथा जैन। डीआईजी को कुछ नहीं है, लेकिन आईजी को सब कुछ पता है। वे कहते हैं कि वह महिला थाने में नहीं जली। कहीं और जली है।
कुमार सौवीर के एफबी वाल से