महासमुन्द। छत्तीसगढ़
वरिष्ठ पत्रकार व प्रेस क्लब महासमुन्द के अध्यक्ष आनंदराम साहू की माता श्रीमती देवकी देवी साहू का आज सुबह देहांत हो गया। वे 83 वर्ष की थीं। वे बीते कुछ समय से अस्वस्थ थीं। आज 6.40 बजे उन्होंने अंतिम सांसें ली। अंतिम संस्कार पूर्वान्ह 11 बजे महासमुन्द के भलेसर रोड स्थित राजा मठ (मुक्तिधाम ) में किया जाएगा। अंतिम यात्रा परसकोल मार्ग दीनदयाल नगर, हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी महासमुन्द स्थित निज निवास से निकलेगी। देवकी देवी तीन पुत्री लोमती, लीला, भागबती और एक पुत्र आनंदराम का भरा-पूरा परिवार छोड़ गईं।
ऐसे पेश की दानशीलता की मिसाल
तीन बहनों में सबसे बड़ी होने का फर्ज निभाते हुए देवकी देवी ने अपनी संपूर्ण पैतृक संपत्ति को अपनी दो छोटी बहनों को दान कर दी और खुद अभाव में जीवन बसर करते हुए स्वावलंबन से जीवन बसर करती रहीं। मध्यमवर्गीय किसान परिवार में उनका विवाह हुआ। अभावग्रस्त होते हुए भी उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश में कोई कमी नहीं की।
दानशीलता और त्याग की प्रतिमूर्ति
बुढ़ापे में अपनी जमा पूंजी एक लाख रुपये से अधिक “मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना” में विकास यात्रा के दौरान 24 मई 2013 को दान करके दानशीलता का अनूठा उदाहरण भी उन्होंने पेश किया। तब छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने उनकी उदारता और दानशीलता को समाज के लिए अनुकरणीय उदाहरण बताते हुए आभार जताया था। और उन्हें दानशीलता और त्याग की प्रतिमूर्ति बताया।
‘सादा जीवन-उच्च विचार’ के साथ जीवन यात्रा
देवकी देवी साहू का जन्म 1930 के दशक में महासमुन्द जिले के पिथौरा ब्लॉक के गांव घोघरा में हुआ था। दूरस्थ अंचल के इस गांव में तब शिक्षा व्यवस्था का अभाव था। इस वजह से शिक्षित नहीं हो पायीं। तथापि, कठोर परिश्रम और संस्कार से उन्होंने परिवार की सम्पूर्ण जिम्मेदारी निभाई। झिलमिला (पटेवा) निवासी परसराम साहू के साथ उनका विवाह हुआ था। देवकी देवी, तीन बेटी और दो बेटों की जननी बनीं। बच्चों की शिक्षा-दीक्षा और भरण पोषण पर उन्होंने संपूर्ण ध्यान केंद्रित किया। इस बीच 4 अक्टूबर 1991 को ज्येष्ठ सुपुत्र रिखीराम का असामयिक देहावसान हो जाने से उन्हें गहरा सदमा लगा और अवसादग्रस्त होकर हृदय रोग से ग्रसित हो गईं। बीस साल से अधिक समय तक नियमित रूप से हृदय रोग का उपचार चलता रहा और नियमित रूप से दवाई के सेवन से जीवटता के साथ जीवन बसर करती रहीं। करीब पांच साल पहले शुगर लेवल बढ़ने के बावजूद गंभीर बीमारियों से जूझते हुए वृद्धावस्था में भी बहुत ही दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ जीवन बसर करती रही।
अंत समय में…
14 जुलाई 2020 की रात करीब डेढ़ बजे चक्कर आने से वह अपने कमरे में गिर गईं। परिजनों ने उपचार के लिए चिकित्सालय में भर्ती कराया। इस बीच जांघ और कमर की हड्डी में फ्रैक्चर होने से स्वास्थ्य में निरंतर गिरावट आने लगी। उम्र की अधिकता और सर्जरी के लिए उनकी असहमति से आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से उपचार जारी रहा। उन्होंने अन्न का त्याग कर करीब साढ़े तीन महीने तक केवल जूस के सहारे जीवन बसर की। अंततः वे देह त्याग कर परलोकगमन कर गईं।