Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

इंडियन एक्सप्रेस भी गोदी हो चुका है मितरों!

Sanjaya Kumar Singh-

FRESH OUTREACH? : Journalism of Prachaaraks!!

Advertisement. Scroll to continue reading.

इंडियन एक्सप्रेस को “किसानों को बातचीत के लिए निमंत्रण” का तरीका इतना पसंद आया कि विज्ञापनों से भरे पहले पन्ने पर लीड बना दिया। टैगलाइन जर्नलिज्म ऑफ करेज के साथ यह दरअसल प्रचारकों की पत्रकारिता की हिम्मत है। एक्सप्रेस में काम करने वाले पुराने लोगों को अब देखें और जानें तो यही सच लगेगा।

अरुण शौरी के नेतृत्व में राजीव गांधी के खिलाफ अभियान चलाने और बोफर्स का हौव्वा खड़ा करने वाले इंडियन एक्सप्रेस समूह ने तब अपनी छवि सत्ता विरोधी होने की बनाई थी। तब की सरकार ने इंडियन एक्सप्रेस के परिसर पर छापा भी डलवाया था।

पर आज जब देश का ज्यादातर मीडिया भाजपा सरकार के समर्थन में खड़ा है (उस समय के बहुत सारे पत्रकार घोषित रूप से भाजपा के साथ हैं, हालांकि वह अलग मुद्दा है) तो इंडियन एक्सप्रेस भी कोई अलग नहीं है। यह ठीक है कि अखबार में सरकार के खिलाफ खबरें दूसरे अखबारों के मुकाबले संभवतः ज्यादा छपती रहती हैं पर भाजपा का समर्थन भी छिपा हुआ नहीं है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की एफबी वॉल से.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement