: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के साथ इंडिया न्यूज़ का संवाद : नई दिल्ली : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव और बिहार के सीएम नीतीश कुमार के उलझे राजनीतिक रिश्ते पर एक सनसनीखेज दावा किया है कि जब नीतीश ने उनसे सीएम पद से इस्तीफा देने कहा था तब शरद ने उनसे एकांत में कहा था कि वो इस्तीफा मांगेंगे लेकिन मैं इस्तीफा न दूं.
इंडिया न्यूज़ चैनल पर शुक्रवार की रात 9 बजे प्रसारित हुए कार्यक्रम ‘संवाद’ में चैनल के एडिटर-इन-चीफ दीपक चौरसिया से बातचीत में मांझी ने कहा कि शरद ने कहा था कि उन पर नीतीश का दबाव है इसलिए वो इस्तीफा देने को कहेंगे लेकिन तुम्हें इस्तीफा नहीं देना है. मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री बनाने के लिए वो नीतीश के आभारी थे लेकिन ये भावना तब खत्म हो गई जब नीतीश कहने लगे कि मांझी को मुख्यमंत्री बनाना उनकी सबसे बड़ी गलती थी.
मांझी ने यह भी दावा किया राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने उन्हें आरजेडी में शामिल होने का ऑफर दिया था और कहा था कि वो और लालू बिहार में हेलिकॉप्टर से घूमेंगे और सत्ता हासिल करेंगे. मांझी ने लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान पर चुटकी लेते हुए एक दोहा सुनाया- बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर, पंथी को छाया नहीं, फल लगत अति दूर- जिसका मतलब ये है कि पासवान ऐसे बड़े पेड़ हैं जो न छाया देते हैं और न फल. मांझी ने कहा कि वो बरगद की तरह हैं और सबको छाया देना चाहते हैं.
कोई भूल-चूक से फिर सीएम बना दे तो हम काम करने के लिए तैयार हैं
एनडीए के सीएम कैंडिडेट के सवाल पर मांझी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कह रखा है कि वो सीएम पद के उम्मीदवार नहीं हैं लेकिन कोई भूल-चूक से बना दे तो वो काम करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि जेडीयू की सरकार में भी मुख्यमंत्री बनने के लिए वो नीतीश के पास दरख्वास्त लेकर नहीं गए थे लेकिन नीतीश ने उन्हें सीएम बना दिया.
आरक्षण को टच करने का सवाल ही नहीं
मांझी ने आरक्षण को लेकर छिड़ी बहस पर कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कभी नहीं कहा कि आरक्षण नहीं लागू होना चाहिए बल्कि उन्होंने समीक्षा की बात कही थी. अगर हम आरक्षण को मिटा देंगे तो पिछड़े लोग तो और नीचे चले जाएंगे. उन्होंने कहा कि जब तक आरक्षित तबके की साक्षरता दर और सामाजिक स्थिति सामान्य न हो जाए तब तक आरक्षण को टच करने का सवाल ही नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि आरक्षण की समीक्षा में कोई हर्ज नहीं है लेकिन समीक्षा इस बात की होनी चाहिए कि और क्या कदम उठाए जाएं जिससे कमजोर तबके के बीच साक्षरता दर बढ़े और उनका मान-सम्मान बढ़े.