कभी अर्नब गोस्वामी एक ठीकठाक पत्रकार और एंकर हुआ करता था. लेकिन जबसे उसे सत्ता की दलाली का रोग लगा, वह निकृष्ट से निकृष्टतम होता चला गया. मोदी सरकार को भोंपू अर्नब गोस्वामी को मुंबई पुलिस ने जाने क्या सबक दिया कि वह अब किसी भी किस्म के विवाद से दूर रहना चाहता है. यहां तक कि खबरों पर आने वाले लीगल नोटिस के लिए भी वह संबंधित पत्रकार को जिम्मेदार ठहराना चाहता है.
अर्नब गोस्वामी के रिपब्लिक भारत चैनल में काम करने का वालों का जिस तरह से शोषण किया जाता है, वह अभूतपूर्व है. इस कारण यहां कोई टिकता नहीं. लोगों के लगातार चैनल छोड़ने से परेशान अरनब गोस्वामी गुलामी का नया बांड ले आया है. ये करीब पचास पेज का एग्रीमेंट है. इसमें ढेर सारी चीजें बहुत अमानवीय और अलोकतांत्रिक हैं जिन्हें कोर्ट में जाकर चैलेंज करने पर खारिज कराया जा सकता है. पर सवाल है कि पापी पेट के लिए आत्मा गिरवी रखकर नौकरी करने वाले लोग भला कोर्ट क्यों जाने लगे. सब चुपचाप शोषण सहने और नौकरी करने में लगे हुए हैं. उन्हें लगता है कि क्रांति करने का जिम्मा किसी दूसरे का है, उनका काम सिर्फ गुलाम के रूप में मूक बधिर बनकर नौकरी करने का है. तो शोषण करने वाले से कम बड़ा अपराधी नहीं होता है शोषण कराने वाला.
खैर. यहां बात कर रहे हैं अर्नब द्वारा लाए गए गुलामी बांड का. इसमें कहा गया है कि अगर कोई नौकरी छोड़ेगा तो 6 महीने पहले नोटिस देगा. अगर एक महीने पहले नोटिस देता है तो उसे बाकी पांच महीनों की सेलरी कंपनी के खाते में जमा करना होगा. अगर नोटिस पीरियड नहीं पूरा किया तो 6 महीने की सैलेरी देनी होगी. अगर किसी को कंपनी से टर्मिनेट किया गया है तो वह एक साल तक किसी दूसरी कंपनी में नौकरी नहीं कर सकेगा. कोई भी गलती होने पर कर्मचारी खुद जिम्मेदार होगा. उसे अपना केस स्वयं लड़ना होगा.
Republic Bharat चैनल के इस पचास पेजी एग्रीमेंट पर हर एक इंप्लाई के साइन कराए जा रहे हैं. मरता क्या न करता की तर्ज पर भाई लोग मन ही मन गालियां देते हुए साइन कर रहे हैं. अर्नब गोस्वामी और एचआर टीम की पूरी कोशिश है कि उनके यहां का हर बंदा इस एग्रीमेंट पर साइन कर दे ताकि अर्नब चैन की बंशी बजा सकें.
अर्नब के बीते कल और आज वाले वर्तमान के बारे में वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम की राय देखें-
इसे भी पढ़ें-