पत्रकार संगठन इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्टस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के. विक्रम राव की निरंकुश एवं अधिनायकवादी कार्यशैली एवं उन पर लगे वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोपों के कारण संगठन में अब विद्रोह की स्थिति पैदा हो चुकी है। संगठन के सदस्यों का एक बड़ा तबका श्री राव का नेतृत्व स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। इससे श्री राव इस तरह बौखला उठे हैं कि वे संगठन को पूरी तरह अपने स्वामित्व वाली संस्था बनाने की कोशिशों से भी अब परहेज नहीं कर रहे हैं।
श्री राव अपनी सारी खीझ अब राष्ट्रीय महासचिव श्री परमानन्द पाण्डे पर निकाल रहे हैं जो संगठन में श्री राव से कहीं अधिक लोकप्रिय हैं। श्री राव द्वारा श्री पाण्डे को अपनी सुनियोजित साजिश का शिकार बनाये जाने की सबसे बड़ी वजह यह है कि श्री पाण्डे ने अध्यक्ष द्वारा की जा रही कथित वित्तीय अनियमितताओं में श्री राव का साथ देने से इनकार कर दिया है। श्री राव गत 1 दिसंबर को इस कदर मनमानी पर उतर आए कि उन्होंने संगठन के दिल्ली स्थित कार्यालय का ताला तुड़वा कर उसकी जगह अपना निजी ताला डाल दिया। संगठन को पारिवारिक संपत्ति बनाने की कोशिशों में जुटे श्री राव के साथ उस सयम उनकी पत्नी एवं पुत्र भी संगठन के दिल्ली कार्यालय पहुंचे थे।
श्री राव के इस कृत्य के पीछे उनकी यह मंशा थी कि महासचिव के रूप में श्री पाण्डे को संगठन की जिम्मेदारियों के निष्ठापूर्ण निर्वहन से रोक दिया जाए। यहां यह भी गौरतलब है कि दिल्ली स्थित आईएफडब्ल्यूजे का कार्यालय आज जिस भवन में लगता है वह दरअसल दो दशक पूर्व आल इंडिया रेल्वेमेन्स फेडरेशन के प्रमुख नेता श्री शिव गोपाल मिश्र एवं नादर्न रेल्वेमेन्स यूनियन के महासचिव श्री एस के त्यागी की उदारता स्वरूप ही संगठन को उपलब्ध हो सका था जबकि संगठन को उसके कार्यालय से बेदखल कर दिया गया था। उस समय श्री राव ने यह बढ़चढक़र दावा किया था कि वे संगठन हेतु शीघ्र ही एक भव्य कार्यालय तैयार करा देंगे परंतु उनका दावा खोखला ही साबित हुआ। वहीं यह संदेह भी व्यक्त किया जाता रहा है कि श्री राव ने संगठन के वर्तमान कार्यालय की मरम्मत एवं रखरखाव के नाम पर संगठन के कोष से बड़ी राशि निकाली है परन्तु वह राशि कहां गई, यह कोई नहीं जानता। विगत वर्ष जब संगठन के कार्यालय का कम्प्यूटर चोरी चला गया था तब अध्यक्ष श्री राव ने अपने लखनऊ कार्यालय से पुराना कम्प्यूटर तक दिल्ली भेजने से इंकार कर दिया था। तब संगठन के एक राष्ट्रीय सचिव श्री कृष्णमोहन झा ने भोपाल से एक कम्प्यूटर और प्रिंटर दिल्ली कार्यालय भिजवाया ताकि संगठन का कामकाज सुचारू रूप से जारी रह सके।
महासचिव श्री परमानंद पाण्डे के विरूद्ध श्री राव ने यह दुष्प्रचार कर रखा है कि श्री पाण्डे दिल्ली कार्यालय का उपयोग अपनी वकालत के पेशे के लिए कर रहे हैं जबकि वास्तविकता यह है कि श्री पाण्डे का अपना निजी चैम्बर भी है परन्तु समय बचाने के उद्देश्य से वे संगठन के कार्यालय से अपने व्यक्तिगत कार्य निपटाते थे। दिल्ली कार्यालय में श्री राव द्वारा अवैधानिक तरीके से ताला डाल दिए जाने के बाद श्री पाण्डे अब अपने निजी चैम्बर से ही अपने व्यावसायिक कार्य निपटा रहे है। यहां विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि श्री पाण्डे ने ही मजीठिया आयोग की सिफारिशें लागू करवाने के लिए देश के हजारों पत्रकारों की ओर से लंबी लड़ाई लड़ी है और श्री राव उन्हें उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित करने के बजाय उनके विरूद्ध सुनियोजित साजिश के तहत उन्हें बदनाम करने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। श्री पाण्डे की निस्वार्थ सेवाओं एवं निर्धन कमजोर वर्ग की मदद हेतु तत्परता को देखते हुए उन्हें रेल्वेमेन्स फेडरेशन द्वारा पुन: एक कार्यालयीन भवन उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया गया था परन्तु उन्होंने अत्यंत विनम्रतापूर्वक इंकार कर दिया।
आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री के विक्रम राव के अनैतिक कार्य कलापों एवं अधिनायकवादी कार्यशैली का श्री पाण्डे द्वारा जो सशक्त विरोध किया जा रहा है उससे श्री राव अब अन्दर ही अन्दर इस कदर घबरा उठे है कि वे येनकेन प्रकारेण श्री पाण्डे को महासचिव पद से ही हटवा देने की कोशिशों से भी परहेज नहीं कर रहे है और उनके विरूद्ध मनगढ़ंत भ्रामक एवं असत्य आरोप लगाने पर उतर आए हैं। श्री पाण्डे इस हकीकत से पहले ही अच्छी तरह वाकिफ थे कि श्री राव उनके विरूद्ध दुष्प्रचार कर भ्रम का वातावरण निर्मित करने में कोई भी कसर बाकी नहीं रख छोडेंगे। इसलिए श्री पाण्डे ने एक सर्कुलर जारी कर वास्तविक स्थिति से संगठन के सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों को परिचित करा दिया है। श्री पाण्डे ने इस सर्कुलर में सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों से अपील की है कि अब समय आ गया है कि संगठन को किसी एक व्यक्ति की निजी संपत्ति बनने से रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर संगठित मुहिम चलाई जावे। श्री पाण्डे को संगठन में हर तरफ से जो भारी समर्थन मिल रहा है उससे श्री राव चिन्तित हो उठे हैं। गौरतलब है कि संगठन के दो राष्ट्रीय सचिव श्री हेमन्त तिवारी एवं श्री कृष्णमोहन झा ने राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री के विक्रम राव की अधिनायकवादी कार्यशैली एवं कथित आर्थिक अनियमितताओं के विरूद्ध काफी समय पूर्व से ही बगावत का झंडा उठा रखा है।
कृष्णमोहन झा की रिपोर्ट. संपर्क: [email protected][email protected]