सत्येंद्र पीएस-
नरेद्र मोदी सरकार 5.96 लाख करोड़ रुपये में निम्नलिखित चीजें बेचने जा रही है।
- 25 हवाईअड्डे
- 26,700 किलोमीटर राजमार्ग
- 6 गीगावॉट क्षमता के पनबिजली और सौर बिजली संयंत्र
- कोयला खदान की 160 परियोजनाएं
- 8,154 किलोमीटर प्राकृतिक गैस पाइपलाइन
- 2.86 लाख किलोमीटर टेलीकॉम फाइबर
- 14,917 टेलीकॉम टॉवर
- 210 लाख मीट्रिक टन क्षमता के तमाम गोदाम
- 400 रेलवे स्टेशन
- और भी कई सरकारी संपत्तियां और जमीनें
यह सब पिछले 70 साल में बना था। खासकर एयरपोर्ट, नैशनल हाइवे, गैस पाइपलाइन, फाइबर और गोदाम मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल के बने हुए हैं। देश के तमाम नागरिकों को लगता है कि पिछले 70 साल में कुछ नहीं हुआ। लेकिन अभी अगर सरकार एक कार्यकाल और चुन ली जाती है तो हजारों की संख्या में शोध संस्थान, विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज हैं, लाखों की संख्या में डिग्री कॉलेज हैं, लाखों प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक विद्यालय हैं, जिन्हें बर्बाद करके बेचा जा सकेगा। आपके मोहल्ले और गलियां हैं, जिनमें सड़कें व पार्क पहले की सरकारों ने बनवाए हैं, बिकने के बाद वहां भी एक टोल प्लाजा बन जाएगा और आप अपने घर में तभी घुस पाएंगे जब किसी गुंडे को टोल भुगतान करेंगे।
नोट- इसे रोकने की जिम्मेदारी सिर्फ दलितों और पिछड़ों की ही नहीं है। यह तर्क बहुत भयानक रूप से चल रहा है कि इनके बिक जाने से आरक्षण खत्म हो जाएगा, इसलिए दलितों पिछड़ों को डूब मरना चाहिए। 50 प्रतिशत सीटें अनारक्षित भी होती हैं, इसलिए सवर्णों को भी डूब मरना चाहिए।
प्राइवेट कंपनियों में सवर्ण लोग बाबू बनेंगे तो उन्हें 8,000 रुपये महीने सेलरी पर काम करना पड़ेगा और सेठ जब चाहेगा, शरीर की रीढ़ जहां खत्म होती है, वहां पर जोरदार लात मारकर निकाल देगा। तमाम आरक्षण के बावजूद अभी सरकारी संस्थानों में 80 प्रतिशत कब्जा अपर कास्ट का ही बना हुआ है।
सरकार देश बेच रही है। देसी विदेशी दोनों तरह के सेठों के हाथ। इसकी थोड़ी जिम्मेदारी कथित अपर कास्ट को भी लेनी चाहिए और उन्हें भी विरोध करना चाहिए।
इनके बेचने की रफ्तार से लगता है कि 2024 के बाद सत्ता में आने पर मोहल्ले की गलियां व पार्क ही नहीं, इन्होंने जो शौचालय बनवाए हैं, वह भी किसी कंपनी को बेच देंगे और वह कंपनी आपसे पैसे लेकर आपको हगाएगी और अगर आपने खेत में निपटने की कोशिश की तो पुलिस लगाकर आपको पीटा जाएगा।
अनीता मिश्रा-
पी एम ने कुछ अरसा पहले संसद में कहा था फिर 15 अगस्त के भाषण में भी कहा कि ‘न्यू वर्ल्ड ऑर्डर’ लागू करना है। कोई बताये ज़रा कि ये न्यू वर्ल्ड आर्डर क्या बला है ? क्यों और कैसे लागू करना है?
ये जो एक के बाद एक सरकारी चीजें बेची जा रही ये भी उसी का हिस्सा है या फिर ये किसी और के आर्डर के तहत है। कुछ समझ आ रहा तो समझाइए? आखिर लोगों को आपस में नफ़रत के काम में लगाकर ये सब क्या किया जा रहा है।
गिरीश मालवीय-
मोदी सरकार इसी कार्यकाल में ऐसा काम करके जाएगी कि हमारी आने वाली पीढियां प्राइवेट सेक्टर की गुलाम बन जाएगी ….मोदी सरकार ने कल विभिन्न क्षेत्रों की सरकारी संपत्तियों में मोनेटाइजेशन कर कुल 6 लाख करोड़ रु. जुटाने के लक्ष्य की घोषणा की है।
आलोचना होने पर कहा है कि हम बेच थोड़ी न रहे हैं हम तो लीज पर दे रहे हैं और लीज एक तय समयसीमा के लिए होगी। उसके बाद पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर सरकार के पास आ जाएगा। जिन रोड, रेलवे स्टेशन या एयरपोर्ट्स को लीज पर दिया जाएगा, उनका मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा।
अब सवाल यह उठता है कि यह लीज आखिर कितने सालो के लिए दी जा रही है ?…..आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि एयरपोर्ट के मामले मे यह लीज 50 सालो की है और रेलवे स्टेशन और उससे लगी जमीनें 100 साल के लिए निजी कंपनियों को लीज पर दी जाएगी
जी हां पूरे 100 सालो के लिए !
अब यह बेचे जाने से कैसे कम है आप ही फैसला कीजिए?… जब देश के पहले रेलवे स्टेशन हबीब गंज को प्राइवेट करने का फैसला हुआ तो यह लीज 45 सालो के लिए दी गयी लेकिन निजी कंपनियों को यह रास नही आया उन्होंने जिद कर के सरकार से बाकी तमाम रेलवे स्टेशन को 99 सालो के लिए लीज पर देने की शर्तों को अनुबंध में डलवा दिया
कल वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जो योजना प्रस्तुत की है उसके अंतर्गत 400 स्टेशन, 90 पैसेंजर ट्रेन, 1400 किमी के ट्रैक वह लीज पर देंने जा रही हैं, साथ ही पहाड़ी इलाकों में रेलवे संचालन भी प्राइवेट कंपनियों को सौपा जा रहा है इसमे कालका-शिमला, दार्जिलिंग, नीलगिरी, माथेरन जैसे ट्रैक शामिल हैं। इसके अलावा देश भर मे रेलवे के 265 गुड्स शेड लीज पर दिए जाएंगे। साथ ही 673 किमी डीएफसी भी निजी क्षेत्र को दी जाएगी। इनके अलावा चुनिंदा रेलवे कॉलोनी, रेलवे के 15 स्टेडियम का संचालन भी लीज पर दिया जाएगा।
हम सब जानते हैं कि तेल तिलों से ही निकलता है प्राइवेट कम्पनिया जनता का ही तेल निकाल कर ठेके की रकम की वसूली करेगी……इसके लिए मोदी सरकार ने रेलवे के यात्रियों पर यूजर चार्ज लगाने का प्रावधान पहले से ही कर दिया है शुरुआत में देश के 15 फीसदी रेलवे स्टेशनों पर यूजर चार्ज लगाया जाना है।दिल्ली में हवाई अड्डा पर देखें तो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय (International) यात्रियों से अलग अलग यूजर चार्ज लिया जाता है। वह करीब 500 रुपये के करीब होता है।
यानी आप भी रेलवे स्टेशन पर लगभग 500 रु यूजर चार्ज देने की तैयारी कर लीजिए।
विजय शंकर सिंह-
हर सड़क बिकेगी. देर सबेर यह सरकार, देश को, धर्म की अफीम में मदहोश कर जिन पूंजीपतियों द्वारा इलेक्टोरल बांड के चंदे पर सत्ता में आयी है, उन्हें सब बेच बाच कर चल देगी। मोनेटाइजेशन, देश बेचने का षड़यंत्र हैं, नीति आयोग देश बेचने की योजना बनाने वाला एक छद्म थिंकटैंक और सरकार एक कन्फ्यूज्ड राजनेताओं का समूह जो यह सोच नहीं पा रहे हैं कि देश की आर्थिकी कौन सी दिशा दें।
Manoj
August 25, 2021 at 5:37 pm
Desh bechne aur bahar walon ki gulami se accha hai ki non -performing assets bacho aur apne kisi deshi ki jhuthi gulami karo…