भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब अमेरिका में थीं तो वॉल स्ट्रीट जर्नल अखबार में फुल पेज का एक विज्ञापन छपा. इसमें निर्मला सीतारमण सहित 11 लोगों को वांटेड बताकर इन्हें प्रतिबंधित करने की मांग की गई.
इस विज्ञापन को अमेरिका की प्राइवेट संस्था ‘फ्रंटियर्स ऑफ फ्रीडम’ ने 13 अक्टूबर को प्रकाशित कराया था. विज्ञापन के सबसे नीचे एक क्यूआर कोड है, उसे स्कैन करने पर अमेरिकी थिंक टैंक ‘फ्रंटियर्स ऑफ फ्रीडम’ की वेबसाइट खुलती है.
मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपी विदेशी नेताओं-अफसरों को अमेरिका में प्रतिबंधित करने के लिए 2016 में ग्लोबल मैग्नित्सकी कानून बनाया गया. इसी कानून के तहत भारत के कुल ग्यारह लोगों को वांटेड बताकर प्रतिबंधित करने की मांग की गई है. इसी कानून के नाम पर ही इस विज्ञापन में बड़ा बड़ा टाइटल दिया गया है- ‘मोदीज मैग्नित्सकी 11’.
ये ग्यारह लोग यूं हैं-
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
एंट्रिक्स के चैयरमेन राकेश शशिभूषण
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन
जस्टिस हेमंत गुप्ता
जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम
सीबीआई डीएसपी आशीष पारिक
ईडी डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा
डिप्टी डायरेक्टर ए सादिक मोहम्मद नैजनार
असिस्टेंट डायरेक्टर आर राजेश
स्पेशल जज चंद्र शेखर
अखबार में ग्यारह लोगों का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इन लोगों ने निजी हिसाब किताब चुकता करने के लिए सरकारी संस्थाओं को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर कानून का शासन खत्म कर दिया है. केंद्र सरकार ने केंद्रीय एजेंसियों पर पूरी तरह कब्जा कर लिया है जिससे इन एजेंसियों ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है.
विज्ञापन में कहा गया है कि इन ग्यारह लोगों ने भारत को निवेश के लिए एक असुरक्षित जगह बना दिया है, इसलिए निवेशक भारत में अब निवेश न करें, भारत सेफ नहीं है.
भारत में सूचना-प्रसारण मंत्रालय की वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने आरोप लगाया है कि जालसाजों ने अमेरिकी मीडिया का इस्तेमाल कर लिया है जो शर्मनाक है. इस विज्ञापन के पीछे देवास मल्टीमीडिया का पूर्व सीईओ रामचंद्रन विश्वनाथन है जो भारत में घोषित भगोड़ा आर्थिक अपराधी है.