महेश झालानी-
जयपुर : समाज मे उठापटक को कैमरे में कैद करने वाले टीवी चैनल एवन में घमासान मचा हुआ है जिससे इस चैनल के वजूद पर संकट उत्पन्न हो गया है। शेयर होल्डरों की मारकाट से यहां श्रीलंका जैसे हालत उत्पन्न हो गए हैं। चर्चा है कि चैनल के संस्थापक अनिल लोढा को भागने पर विवश होना पड़ा है या स्वयं अलग होने को मजबूर हुए हैं। इसको लेकर मीडिया मार्केट में जबरदस्त चर्चा है। भड़ास ने अनिल लोढ़ा को कई बार फोन कर असलियत जानने का प्रयास किया पर उन्होंने फोन नहीं उठाया।
जिस जगह एवन टीवी है, वहां पहले सुभाष शर्मा अपना चैनल चलाया करते थे। कुछ दिन तो चैनल सही सलामत चलता रहा। अंत में कर्ज के बोझ तले दबकर यह चैनल बुरी तरह कराहने लगा। बैंको के अलावा कई कम्पनियो की अदालती लड़ाई के कारण सुभाष शर्मा को अपने चैनल से पिंड छुड़ाना बहुत भारी पड़ गया। कमोबेश यही हालत आज अनिल लोढा और उनकी कम्पनी की है।
पत्रकार होने के साथ साथ अनिल लोढा कवि भी हैं। मीडिया हाउस के जरिये जोखिम उठाने में सिद्धहस्त हैं। बाजार से पैसा एकत्रित करने में इन्हें माहिर माना जाता है। इन्होंने ‘सुनहरा राजस्थान’ की धमाकेदार लांचिंग कर सभी को चमत्कृत कर दिया। इस मैगजीन टाइप अखबार की जयपुर के अलावा चेन्नई, कोलकाता और दुबई आदि में फिल्मी स्टाइल में लांचिंग की गई। इसका हश्र बहुत बुरा हुआ। कुछ दिनों बाद ही सुनहरा राजस्थान का “सुनहरापन” समाप्त हो गया। अखबार तो बन्द हो गया,, लेकिन वे रोते रह गए जिन्होंने सुनहरा राजस्थान में भारी निवेश किया।
सुनहरा राजस्थान के फ्लॉप होने के बाद एवन टीवी के नाम से नई फिल्म लांच कर पहले की तरह जबरदस्त धमाका पैदा कर दिया। लोढा ने शुरुआती तौर पर भले ही एवन में पैसा लगाया हो, लेकिन बाद में शेयर होल्डर और संवाददाता बनाकर पैसा एकत्रित किया गया। मार्केट की चर्चा के अनुसार करीब ढाई सौ लोगो को अपनी कम्पनी का शेयर होल्डर बनाकर 25 करोड़ से ज्यादा राशि एकत्रित की गई। इनमे पूंजीपति, राजनेता, बिल्डर, मिल मालिक तथा वे लोग ज्यादा हैं जो राजनीतिक महत्वाकांक्षा अधिक रखते हैं।
अनिल लोढा को एक और व्यक्ति श्याम शर्मा मिल गया जो पैसे इकट्ठे करने के मामले में इनका भी उस्ताद निकला। चर्चा है कि अनिल लोढा को श्याम शर्मा का साथ नहीं मिलता तो एवन चैनल बहुत पहले ही दम तोड़ चुका होता।
अलवर निवासी श्याम शर्मा के बारे में कहा जाता है कि ये शख़्स हमेशा बड़ी बड़ी बातें करता है। यहाँ तक दावा है कि मुख्यमंत्री उससे सलाह लेकर काम करते हैं। जिस प्रकार पंजाब केसरी में संवाददाताओं को लूटने की पूरी छूट होती है, उसी तरह एवन टीवी के संवाददताओं को भी यह सुविधा हासिल है। बताया जाता है कि श्याम शर्मा ने अलवर जिले के अनगिनत लोगो से पैसे लेकर उन्हें शेयर होल्डर के नाम पर संवाददाता बना दिया। संवाददाता बनने की पहली शर्त है डायरेक्टर बनना। डायरेक्टर बनने के लिए एक लाख से लेकर कई लाख रुपये लिए गए।
भले ही एवन टीवी की दर्शक संख्या हजार भी नहीं हो, लेकिन डीपीआर की इस पर पूरी कृपा दृष्टि बनी रही। पर झूठे सपनों को तो एक दिन टूटना ही था। एवन टीवी की ओर से प्रदेश के अनेक लोगो को झांसा देकर शेयर होल्डर तो बना दिया गया लेकिन लाभांश छोड़, मूल रकम के भी टोटे पड़ रहे हैं। अच्छे रिटर्न का झांसा देकर करोड़ों रुपये तो बटोर लिए, लेकिन निवेशकों को बदले में मिला बाबाजी का ठुल्लू। पिछले काफी दिनों से शेयर होल्डरों में जबरदस्त आक्रोश व्याप्त है। चर्चा है कि हाल ही में भीलवाड़ा तथा अलवर के कुछ बड़े शेयर होल्डरों ने अनिल लोढा को कम्पनी से बेदखल कर सत्ता अपने हाथ में ले ली है।
चर्चा यह भी है कि शेयर होल्डरों के दबाव और धमकी के चलते अनिल लोढा खुद ही एवन टीवी छोड़कर चले गए हैं ताकि घमासान से बचा जा सके। चर्चा यह भी है कि योजनाबद्ध तरीके से अनिल लोढा ने खुद को एवन टीवी से अलग कर अपने ही किसी व्यक्ति को संचालन की कमान सौंपी है जिससे वे भविष्य में पुनः काबिज हो सकें। बहरहाल मीडिया क्षेत्र में एवन टीवी को लेकर तरह तरह की चर्चा है।
इस प्रकरण को लेकर अनिल लोढ़ा से सम्पर्क का प्रयास किया गया ताकि उनका पक्ष प्रकाशित किया जा सके पर उन्होंने फोन नहीं उठाया। बाद में चैनल ने अपना पक्ष मेल के ज़रिए भेजा है जिसे नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं-