Abhishek Srivastava : ज़रा सोचिये, कि आपकी टीवी स्क्रीन पर संसद के गलियारे में शेर से टहलते हुए, अपने कमरे में शेर की तरह बैठे हुए, लोगों के बीच शेर की तरह हाथ हिलाते हुए नए वाले पीएमजी दिख रहे हों और बैकग्राउंड में बज रही हों ये पंक्तियां, ”…आसमान में उड़ने वाले मिट्टी में मिल जाएगा…।”
अभी-अभी दस बजे ”आजतक” पर चमत्कारिक तरीके से बिल्कुल यही हुआ है। सब कसमें, वादे, प्यार, वफ़ाएं जब एक झटके में तिरोहित होती हैं, तभी ऐसे बेहतरीन प्रयोग करने का विवेक आखिर वाजपेयीजी में क्यों आता है? वाह रे 10तक… दिल खुश कित्ता प्रसूनजी। वैसे, एक और बधाई पेन्डिंग थी… आपके ब्लॉग पर एसपी सिंह वाले लेख की। एक के साथ एक फ्री… बस, कोशिश करियेगा कि टेम्पो बना रहे।
पत्रकार और एक्टिविस्ट अभिषेक श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से.
Comments on “वाह रे 10तक… दिल खुश कित्ता प्रसूनजी”
p p vajpeyi sahb 16 kla sampann hai