नवीन कुमार-
कुछ दिन पहले ABP न्यूज ने अपना दफ्तर लोगो डिजाइन सब बदल दिया। शिफ्टिंग के एक महीने पहले और बाद तक ABP वालों ने ऐसी ऐसी भावुक पोस्ट लिखी जैसे सिग्नेचर ब्लैंकेट का इश्तहार कि बेटा जब हमारी याद आया इस ओढ़ लेना। इतनी घटिया कॉपी राइटिंग इतिहास में बहुत कम हुई है।
खैर ABP न्यूज ने नया नारा भी गढ़ा।
न पाबंदी है न कोई हद हो
तोड़के हदों के ताले नए सपनों को पाले
पता नहीं था कि वो फेक न्यूज में हद तोड़ने की बात कर रहे हैं। इतने विशाल संस्थान के लोग जब मोदी भक्ति में चौड़े होकर फेक न्यूज फैलाते हैं तो दुख होता है। वो भी एक इतने गंभीर मुद्दे पर जिसका एक अरब से ज़्यादा लोगों की ज़िन्दगी से सीधा वास्ता है।
2 जनवरी को एबीपी ने लिखा कि अमेरिका में टीका 5000 का लगेगा। इंग्लैंड में 3 हज़ार का लगेगा और भारत में मुफ्त में। ऐसा दिव्य रिसर्च उत्तम पदार्थ के सेवन के बाद भी संभव नहीं।
आप अमेरिकी सरकार के डिजीज कंट्रोल की वेबसाइट पर जाएंगे तो साफ साफ लिखा है कि टीका मुफ्त है और सारी खरीद सरकार करेगी। इसी तरह इंगलैंड के नेशनल हैल्थ सर्विस ने भी बहुत पहले साफ कर दिया था कि ये मुफ्त होगा। NHS टीके का पैसा वसूलेगा इसपर कोई अनाड़ी भी दस दफा सोचेगा। आम जनता से टीके की कीमत सिर्फ भारत में वसूली जाएगी।
एक से एक तुर्रम खानों से भरे ABP न्यूज में इस गंदगी को रोकने वाला कोई नहीं था। जब आप पढ़ने लिखने सोचने की स्वतंत्रता को ‘टॉनिक’ समझने लगते हैं तो पत्रकारिता की बुनियाद के साथ ऐसे बलात्कार भी सामान्य लगने लगते हैं। बोले तो न्यू नॉर्मल।
ABP के साथियों को शुभकामनाएं। और रिसर्च टीम को प्रणाम।