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देश के लोग न्यूज़ चैनलों के असल मकसद को समझ गए हैं!

शाहिद नकवी-

जेंडा चैनलों के गुब्बारे की हवा निकल रही. कुछ महीने पहले बाजार में एक नया टीवी चैनल आया था। लांचिंग का बहुत जोरदार प्रचार हुआ।यहां तक की मैट्रो और बस स्टेशन भी नहीं छोड़ा गया। शुरू में एक दो खबर सही रही, फिर एजेंडे पर आ गया।

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मैं कोई चैनल देखता नहीं। आज चैनल का फेसबुक पेज देख लिया। बहुत सारी खबरों पर तो कोई लाइक नहीं, 3-10 व्यू। लाइक हैं भी तो 5-6। वह लोग भी लाइक नहीं कर रहे हैं जिनको पढ़ा कर विरोध में बोलने के लिए तैयार किया जाता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब देश के लोग चैनलों के असल मकसद को समझ गए हैं।

लोकतंत्र है तो देश को सरकार ही चलाएगी। लेकिन ये तय है कि एजेंडा चैनलों और अखबारों की हवा निकाल रही है। इसमें नुकसान दरअसल पत्रकारिता और पत्रकारों का हो रहा है। मैंने एजेंडा शब्द प्रयोग किया है ये किसी भी तरफ का हो सकता है। ये भी सच है कि बहुत से यूट्यूबर जो विरोधी एजेंडा चलाते वह भी एक पक्षीय ज्यादा होते हैं।

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जिस तरह आप चैनलों को देख कर राय नहीं बनाते हैं उस तरह उन यूट्यूब चैनल को देख कर भी राय मत बनाइए। अपने विवेक और हालातों के तालमेल से ही अपनी राय सेट करिए।

लेखक आकाशवाणी केंद्र रीवा में पूर्व कमेंटेटर रहे हैं।

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