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सुख-दुख

कंटेंट चोरी के आरोपों पर अजीत अंजुम ने यूं दी सफाई

Ajit Anjum-

मैं ऐसे कीचड़ में पड़ता नहीं लेकिन कभी -कभी छींटों की सफाई ज़रूरी होता है .

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वो इसलिए भी कि क्योंकि कल शाम से सुनियोजित तरीके से एक अनर्गल आरोप को वायरल किया जा रहा है .

परसों सुबह 9 बजे के आसपास मैंने सिंघु बॉर्डर पर मलेरकोटला के लंगर और सिखों से जुड़े उनके इतिहास पर एक वीडियो शूट किया था . वहीं एडिट किया और मेरे फेसबुक पेज पर दोपहर 12.58 पर अपलोड कर दिया . उसके बाद यूट्यूब पर भी .

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अब एक साहब कल से ये फैलाने में लगे हैं कि मैंने उनका कॉन्टेंट चोरी कर लिया . लगातार लोग मुझे टैग कर रहे हैं . आज मुझे लगा कि जवाब नहीं दूंगा तो मेरी चुप्पी में बहुत कुछ खोज लिया जाएगा .

मैं अपने फेसबुक पेज का स्क्रीन शॉट और उनके पेज का स्क्रीन शॉट यहां पोस्ट कर रहा हूँ .

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दोनों के पेज पर जाकर कोई भी व्यू हिस्ट्री में ये देख सकता है .

मेरा वीडियो उनकी पोस्ट से घंटों पहले अपलोड हुआ .जाहिर है उसके पहले एडिट और शूट भी हुआ होगा .

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मलेरकोटला के बारे में मैंने जिन जानकारियों का इस्तेमाल किया , वो विकिपीडिया पर उपलब्ध है . बाकी कुछ मेरे विचार हैं .

कोई भी चाहे तो जज बनकर जांच करके फैसला सुना दे , मैं न सिर्फ मान लूंगा बल्कि हर सजा कबूल करूँगा .

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लेकिन क्या यही उम्मीद मैं उनसे कर सकता हूं जिन्होंने ऐसे आरोप लगाकर अनर्गल दुष्प्रचार किया है ?

जो आरोप वो मुझ पर लगा रहे हैं , टाइमिंग के आधार पर वही आरोप मैं भी लगा सकता हूं .लेकिन मैं जानता और मानता हूं कि ये फालतू की बात है .

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जो जानकारी सार्वजनिक तौर पर एक सर्च पर उपलब्ध है ,उसके बारे में मैं इस तरह की बातें कैसे कर सकता हूं .

https://www.facebook.com/ajit.anjum/posts/4053118011365664

इस पूरे प्रकरण को समझने के लिए आरोपों को जानना होगा. नीचे है अविनाश पांडेय समर उर्फ समर अनार्या के एफबी पोस्ट्स, जिसमें आरोप लगाए गए हैं-

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Samar Anarya-

अजीत अंजुम के इतना गिरने की उम्मीद नहीं थी- आपमें से तमाम के इतना मूर्ख होने की भी नहीं! माने तकनीक की बिलकुल समझ नहीं है आप कुछ लोगों को?

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ये नहीं जानते कि आप अपने कम्प्यूटर का समय बदल सकते हैं? जैसे उन्होंने मेरे बाद किये वीडियो को 8 घंटे पहले का बना दिया- टाइम ज़ोन बदल के!

लीजिये- मैं उनके 8 घंटे पहले से 18 घंटे पहले का बना देता हूँ- बना दिया है! उनके बुधवार के वीडियो के पहले की अपनी पोस्ट को मंगलवार का बना दिया मैंने!

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ज़रा भी दिमाग हो तो अपने कम्प्यूटर में समय देखें दोनों पोस्ट्स का- क्या है कि आपके कम्प्यूटर में हम दोनों समय नहीं बदल सकते!

फिर उनका वीडियो सुनें- 50 दिन बाद मलेरकोटला याद आना, फिर मेरी ही रेलगाड़ी से शुरू करना, फिर शब्दशः मेरी स्क्रिप्ट पढ़ना, उससे एक लफ्ज़ आगे न जाना!

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कुछ ज़्यादा ही संयोग नहीं है ये? और क्या भाई Kailash Soni- बड़ी जल्दी है सर्टिफिकेट देने की? अब आइये, फिर से दीजिये!

बाकी क्या है कि झूठ पकड़ा जाने पर चोर कुछ भी कर सकते हैं!

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https://www.facebook.com/samar79/posts/10224696814833966

शुरुआती पोस्ट का संपादिक अंश ये है-

Samar Anarya-

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एक दोस्त ने अचानक गालियों भरा एक संदेश भेजा- कि हम तुमको दोस्त समझते थे, बुद्धिजीवी समझते थे- तुम चोर निकले। मैं स्तब्ध था। पूछा क्या बोल रहे हो?

उसने कहा- मलेरकोटला पर उनका पूरा वीडियो चुरा लिया। मैंने फिर पूछा क्या? जवाब वही!

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मलेरकोटला पर उनका पूरा वीडियो चुरा लिया।

उसके बाद कुछ नहीं कहा मैंने। बस एक स्टेटस भेजा।

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हाँ- लिखा था स्टेटस।

अजीत जी ने शब्द बा शब्द उठा लिया। अजीत जी जिन्होंने किसान आंदोलन की अपनी रिपोर्टिंग में एक बार भी मलेरकोटला ना बोला था बताने लगे कितनी बार बोले!

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अजीत जी जिन्होंने इस आंदोलन में शायद बँटवारे का ज़िक्र तक ना किया था, अचानक मलेरकोटला की रिपोर्टिंग मेरे वाक्यों से शुरू करने लगे!

उसके बाद भी- नवाब शेर मुहम्मद खान के शब्दों तक!

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मैंने उनसे बात की- पूछा कि सर नाम लेने में क्या बिगड़ जाता? उन्होंने मुझे बदतमीज़ बता फ़ोन काट दिया।
अब बदतमीजियाँ तो की हैं, पर उनको गुरु समझता था एक तो, फिर इस साल बदलने का इरादा और है। सो माफ़ी माँग ली। (हाँ उनका किसी बदतमीज़ी का आरोप हो तो रिकॉर्डिंग है मेरे पास- सर छोड़ कुछ ना कहा- आवाज़ ऊँची तक ना की- जीवन में पहली बार।)

पर फिर- मैं नाज़ियों से लड़ सकता हूँ। लिबरल चोरों से नहीं।

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आप सबको अजीत अंजुम सर मुबारक। मैं हटता हूँ- आख़िर हमारे पास पैसे तक नहीं- हमें कभी लाखों रुपए महीने के नहीं मिले- बीमार पड़ गए तो उस खाते का सहारा है जिसमें कोविद के बाद कुछ बचा ही नहीं। एमपीएफ़ जितना है, उतनी ही उम्मीद है।

सलामत रहिएगा, अजीत अंजुम सर।

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आप गुरु थे, ग़लती भी हो तो मेरी है, आपकी नहीं। आपने थोड़े कभी बुला के सिखाया।

प्रणाम

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चरण स्पर्श

बाक़ी: आप मुझे बिलकुल नहीं जानते अजीत अंजुम सर- पर आपने साथ वाली आख़िरी पैनल डिबेट में वर्चूअली ही सही- कंधा सहलाया था- ग़ज़ब करते हो समर।

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इसे भी पढ़ सकते हैं-

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