Ajit Anjum : यकीन से परे, कल्पना से परे, उम्मीद से परे… जो सोचा नहीं था, वो हो गया. चंद महीनों पहले जब अचानक यूट्यूब चैनल शुरु किया था तो सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी 10 लाख सब्सक्राइबर हो जाएगा. 12 करोड़ व्यूज हो जाएगा. लाखों लोगों का प्यार और भरोसा मिलेगा. दुनिया भर से लोगों के प्यार भरे संदेश आएंगे.
हर सुबह मेरा मेल बॉक्स ऐसे संदेशों से भरा होगा जो दिन की शुरुआत को खूबसूरत बना देगा. सच कहूं तो बिल्कुल नहीं सोचा था. कई बार आपको अंदाजा नहीं होता कि जिस रास्ते पर बिना सोचे आप चल पड़े हैं, वो ऐसी मंजिल की तरफ ले जाएगा जो आपके लिए सुकूनदेह होगा.
पच्चीस साल तक टीवी चैनलों में संपादकी करने के बाद जब उस दुनिया को अलविदा कहकर बाहर निकला था, तब एक जिद जिंदा हो गई थी. नौकरी न करने की जिद. आजाद रास्ते पर चलते हुए अपने मन की करने की जिद. वो रास्ता क्या होगा, इसकी तलाश कर रहा था. तभी लॉक डाउन हुआ. मजदूरों का पलायन शुरु हो गया.
मैं अपना मोबाइल लेकर एनएच 24 पर सुबह से आधी रात तक चक्कर लगाने लगा. दिल्ली से अपना बोरिया-बिस्तर ले जाते मजदूर परिवारों को अपने मोबाइल कैमरे में कैद करने लगा. उनके छोटे छोटे वीडियो ट्विटर पर पोस्ट करने लगा. देश-दुनिया तक वो वीडियो पहुंचने लगा. कभी चार बजे सुबह, कभी 12 बजे रात, कभी दोपहर. हर थोड़ी थोड़ी देर पर बेचैनी होती थी और मैं घर से भागकर फिर एनएच पर पहुंच जाता था.
तभी किसी मित्र ने सलाह दी कि आप यूट्यूब पर ये वीडियो डालना शुरु कीजिए. मार्च के आखिरी दिन यूट्यूब अकाउंट खोला और वीडियो पोस्ट करने का सिलसिला शुरू हुआ. जीरो से जो सफर शुरु हुआ, आज यहां तक पहुंच गया.
आप सभी का शुक्रिया
अगर ये मुमकिन हुआ तो आप सब की वजह से
आपने इतना प्यार दिया, सम्मान दिया, वरना कहां मुमकिन था…
शुक्रिया उनका भी, जो दिन रात गाली देते हैं
न जाने क्या-क्या लिखते-बोलते हैं.
वो न होते तो भिड़ने, लड़ने और डटे रहने की इतनी ऊर्जा कहां से मिलती.
वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम की एफबी वॉल से.