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सियासत

एमजे अकबर को आखिरकार इस्तीफा देना ही पड़ा

तो आखिरकार ‘मी टू’ के विवाद में घिरे विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर का इस्तीफा हो गया। अदालत में 97 वकीलों से लैश होकर मुकदमे की धौंस काम नहीं आ सकी। हालांकि वह अपनी बेगुनाही के दावे पर कायम है जिसका फैसला अब अदालत में ही होगा। 

MeToo कैंपेन के तहत 21 महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर पर लगाया था। भारी दबावों और आलोचनाओं के बाद अब जाकर अकबर को अपने पद से इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ गया.

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केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री अकबर ने प्रधानमंत्री कार्यालय को अपना इस्तीफा भेज दिया है. अकबर पर संपादक रहने के दौरान कुल 21 महिलाओं ने metoo कैम्पेन के तहत यौन शोषण का आरोप लगयाा था.

एजमे अकबर ने इस्तीफा देने के बाद कहा कि वह न्याय के लिए व्यक्तिगत लड़ाई लड़ते रहेंगे. उन्होंने कहा कि अब वह निजी तौर पर केस लड़ेंगे. उन्होंने पीएम मोदी और सुषमा स्वराज का शुक्रिया अदा भी किया.

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इस बीच प्रिया रमानी के समर्थन में उतरीं 20 महिला पत्रकारों ने कोर्ट में अकबर के खिलाफ गवाही देने का फैसला किया है।

इस प्रकरण पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारवादी अविनाश पांडेय ‘समर’ कहते हैं–

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विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर गये- मगर मोदी सरकार का स्त्री द्वेश, स्त्री विरोध बेनक़ाब करके और अहंकार की बत्ती बना के भी- राजनाथ सिंह अंदाज़ में कि ये एनडीए है, यहाँ इस्तीफ़े नहीं होते! निहालचंद तक के नहीं हुए थे। बाक़ी जनता अपने पर आ जाये तो राजा ज्ञानेन्द्रों से लेकर गद्दाफ़ियों तक को भी गद्दी छोड़नी पड़ती है ये तो संघ राज में बस अकबर थे!

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