दिलीप खान-
पिछले साल जब सबका काम-धंधा डूब रहा था, गौतम अडानी की कमाई पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा हुई. दुनिया के सारे बड़े टायकून अडानी से पिछड़ गए. अडानी ने अंबानी को संपत्ति के मामले में पीछे छोड़ दिया. इस आदमी का सफर क्रोनी कैपिटलिज़्म के लिए केस स्टडी है.
सात साल पहले गौतम अडानी को कोई नहीं जानता था. 2013 में अचानक ये आदमी प्रमुख उद्योगपति के तौर पर उभरा और बीजेपी को हेलीकॉप्टर मुहैया कराने से ख़बरों में आया. बिज़नेस की ख़बरों पर अपडेट रहने वाले लोग ज़रूर अडानी को जानते थे, लेकिन उसकी छवि एक मझौले उद्योगपति की थी.
इस आदमी ने जता दिया कि अगर फ़ेवरेबल सरकार हो, तो कल को कोई भी छुटभैंया कारोबारी देश के टॉप-10 धन्नासेठों में शामिल हो सकता था. 2014 के बाद से इस आदमी की चांदी है. बंदरगाहों पर हेरोइन पकड़ा जाना दो दिनों की सनसनी बनी. मोदी के साथ क़रीब होने की बात अब इतनी आम हो गई है कि गली-गली में लोग इस जुगलबंदी को जानते-समझते हैं.
ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने इस आदमी के कुछ प्रोजेक्ट कैंसिल किए, लेकिन भारत में इसे हर इशारे पर हर चीज़ मुहैया कराई गई.
इस दौरान, अडानी की कुछ कंपनियों के शेयर्स की क़ीमत 100-500 गुना बढ़ गई. किसान बिल आया तो इस आदमी ने जगह-जगह गोदाम बना डाले. जो ठेका आ रहा है, इसको जा रहा है. जहां फ़ैक्ट्री डालने का मन होता है, ये डालता है.
हमारी पीढ़ी से पहले देश टाटा-बिड़ला का था. फिर, प्रणब मुखर्जी के वरदहस्त में अंबानी उभरे. लग रहा था कि इसे टक्कर देने वाला दूर-दूर तक कोई नहीं होगा.
अडानी ने मोदी के एक कार्यकाल में ही अंबानी को नीचे गिरा दिया. बाक़ी, इस देश की प्रति व्यक्ति आय 2020 की तुलना में और कम हो गई है. तब तक, आप लोग हिंदू गौरव पर गला साफ़ करते रहें.