शम्भू दयाल वाजपेयी-
लखनऊ में अंतत: प्रिंटिंग मशीन के लगने का काम शुरू हो गया । इंस्टालेशन और ट्रायल के बाद अगले महीने से अखबार का प्रकाशन शुरू हो जाएगा और प्रदेश की राजधानी में भी अमृत विचार की प्रभावी उपस्थिति हो जाएगी। तीन महीने की देरी से ।
योजनानुरूप दो महीने पहले प्रकाशन शुरू होना था। लेकिन तमाम प्रयासों और भाग-दौड के बावजूद समय से नहीं हो सका । प्राय: हम जो चाहते – करते हैं समय से कहां हो पाता है।
10 वर्ष पहले दैनिक जागरण , गोरखपुर में अखबारी नौकरी आयु पूरी हो रही थी तो सोचता था कि फंड -ग्रेच्युटी से मिले पैसों से मकान वगैरह का कर्ज अदा कर शांति से एकाकी वानप्रस्थी जीवन बिताऊंगा और स्वांत: सुखाय अध्ययन – लेखन में मजे लूंगा। लेकिन काल चक्र ने ऐसी चकर घिन्नी नचा दी कि परिस्थिति वशात अंतराल में फिर जुतना पडा।
एक साल घर रहने के बाद पहले तीन साल भारी बेमन से कैनविज टाइम्स , लखनऊ में । सहते- समझौते करते हुए । दो साल फिर घर रह कर रामायण और खास कर सिख इतिहास में कुछ काम करने में लगा रहा लेकिन हालात ने एक तात्कालिक बडी जिम्मेदारी संभालने की ओर ढेल दिया । आत्म संतोष की बात है कि यहां नौकरी नहीं , पूरी स्वतंत्रता है। नौकरी का स्वभाव भी नहीं , पर करनी पडी थी। अब फिर सोचता हूं कब आजादी मिले , कुछ समय अपने मन की जिंदगी बिता सकूं। तमाम बंधनों में रहते ही तो जीवन गुजरा है।
स्कूली सर्टीफिकेट के अनुसार जीवन यात्रा 66 वर्ष 6 महीने की हो गयी । ढाई साल से एक दिन का भी अवकाश नहीं 15- 16 घंटे लगातार दायित्व बोध से बंधे और लगे रहना । सुखद पक्ष है कि विपरीत समय में शुरू होने के बाद भी अमृत विचार दो साल में ही बरेली और मुरादाबाद में अच्छे से स्थापित हो चुका है । हल्द्वानी संस्करण भी अच्छा चल रहा है , जब कि वहां अपेक्षित समय और ध्यान नहीं दे पा रहा । यह सहयोगियों के प्रयासों से ही संभव हो पाया है।