उत्तराखंड के श्रम आयुक्त डा. आनंद श्रीवास्तव ने 23 अगस्त, 2016 को मजीठिया मामले में रखी गई सुनवाई की तिथि को उपस्थित ना हो पाने के लिए माननीय सवोच्च न्यायालय से दिल की गहराई से माफी मांगी है। सुप्रीम कोर्ट में दायर शपथपत्र में उन्होंन कहा है कि यह सब अनजाने में गलतफहमी के चलते हुआ है, वह यह समझ बैठे थे कि श्रम आयुक्त को अपने वकील के माध्यम से कोर्ट में उपस्थित होना है। ज्ञात रहे कि कि पिछली तारीख 19 जुलाई 2016 को कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर के श्रम आयुक्त कोर्ट रूम में व्यक्तिगत तौर पर अपने वकील के साथ मौजूद रहेंगे, ताकि वे मजीठिया वेजबोर्ड के क्रियान्वयन की स्थिति के संबंध में पूछे जाने वाले सवालों का जवाब दे सकें।
जबकि 23 अगस्त, 2016 को सुनवाई वाले दिन चार राज्यों उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड व मणिपुर के श्रम आयुक्त अपने-अपने वकील के साथ कोर्ट में मौजूद थे, वहीं उत्तराखंड की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ था। तब कानून की गरिमा बनाए रखने के लिए माननीय न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति पीसी पंत ने उत्तराखंड के श्रम आयुक्त के जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे, ताकि अगली तारीख को कोर्ट द्वारा मांगी गई जानकारी के साथ उनकी उपस्थित सुनिश्चित की जा सके।
श्रम आयुक्त डा. श्रीवास्तव ने कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगते हुए वादा किया है कि वह भविष्य में ऐसे मामलों में अधिक चौकस व स्तर्क रहेंगे। उन्होंने कहा कि उनके कैरियर रिकार्ड में 11 वर्षों का सेवाकाल जुड़ा हुआ है और इस दौरान वे प्रत्येक अदालत के निर्देशों का पालन करते आए हैं। उनके पूर्व के सेवाकाल को मद्देनजर रखते हुए वह कोर्ट से प्रार्थना करते हैं कि उनकी गैरहाजिरी के चलते जारी किए गए गिरफ्तारी के वारंट के आदेश वापिस लिए जाएं।
परमानंद पांडे
सेक्रेटरी जनरल
आईएफडब्ल्यूजे
अनुवाद: रविंद्र अग्रवाल