बीएचयू में भारत अध्ययन केंद्र और मास्टर डिग्री इन हिन्दू स्टडीज शुरु करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले डॉ. राकेश कुमार उपाध्याय अब भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) दिल्ली में हिन्दी पत्रकारिता विभाग के निदेशक बन गए हैं। पत्रकारिता के ऐसे चुनिंदा अकादमिक प्रोफेसरों में डॉ. राकेश उपाध्याय का नाम भी शामिल हैं जिन्हें टीवी, रेडियो, अखबार और डिजिटल सभी में काम करने का अच्छा प्रैक्टिकल अनुभव हासिल है।
बताया गया है कि वाराणसी के मूल निवासी डॉ. उपाध्याय को प्रो. आनंद प्रधान की जगह पर आईआईएमसी के हिन्दी विभाग का प्रमुख बनाया गया है।
गौरतलब है कि प्रो आनंद प्रधान भी बीएचयू के ही प्रॉडक्ट हैं, जहां वो छात्र संगठन आईसा के बैनर तले छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे। प्रो. आनंद प्रधान ने ट्वीट कर ये जानकारी दी है कि वो लंबे अध्ययन अवकाश पर जा रहे हैं और लंबे अरसे से वो आईआईएमसी प्रशासन से लंबी छुट्टी मांग रहे थे। वर्तमान महानिदेशक ने उदारता दिखाते हुए उनकी छुट्टी मंजूर कर ली है।
बहुआयामी प्रतिभा के धनी प्रो. राकेश उपाध्याय बीएचयू में सेन्टेनियल चेयर प्रोफेसर भी रह चुके हैं। देश के 30 से अधिक विश्वविद्यालयों में वो लेक्चर दे चुके हैं। प्रोफेसर बनने से पहले उन्होंने देश के तमाम बड़े चैनलों में बतौर पत्रकार बड़ी जिम्मेदारियां निभाई हैं। वो आजतक चैनल में आउटपुट में भी प्रोग्राम प्रोड्यूस करते थे तो इनपुट में भी अक्सर रिपोर्टिंग करते थे। आजतक में वो आरएसएस और बीजेपी बीट पर रिपोर्टिंग में लगाए गए थे।
प्रो. राकेश उपाध्याय के बारे में बताया जाता है कि राजनीतिक खबरों पर गहरी पकड़ के साथ चुनावी सर्वे में भी उनका आकलन अक्सर सटीक बैठता रहा है। वर्ष 2014 के चुनाव से लेकर 2019 के आम चुनाव के साथ यूपी में 2017 और 2022 के चुनाव में भी उनके बताए आंकड़े काफी सटीक साबित हुए हैं। चुनाव के दौरान राकेश उपाध्याय स्टूडियो की बजाय जमीनी हकीकत पर भरोसा रखते हैं।
राकेश उपाध्याय ने मैनेजमेंट और पत्रकारिता दो विषयों में मास्टर डिग्री हासिल की है। टीवी पत्रकारिता की शिक्षा उन्होंने गुरु गोविन्द सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के कश्मीरी गेट कैंपस से 2005-06 में ली थी। इसके बाद गुरु जांभेश्वर यूनिवर्सिटी से पोस्टग्रेजुएट डिप्लोमा के जरिए पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री भी हासिल की। बाद में उन्होंने हिन्दुस्तान समाचार के पुनर्जीवन के मुद्दे पर पत्रकारिता क्षेत्र में एमफिल उपाधि भी हासिल की।
राकेश उपाध्याय ने समाज कार्य विषय में ग्रेजुएट पढ़ाई के दौरान गोल्ड मेडल हासिल किया है तो प्रथम श्रेणी में 1999 में इंडस्ट्रियल रिलेशन एंड पर्सनेल मैनेजमेंट में भी फर्स्टक्लास के साथ पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री प्राप्त की है। इसके बाद उन्होंने पीएचडी तक पढ़ाई पूरी की।
प्रो. उपाध्याय ने पत्रकारिता करियर की शुरुआत वाराणसी में दैनिक आज और गांडीव सांध्य दैनिक में स्ट्रिंगर के तौर पर की थी। बाद में वो हिन्दुस्तान समाचार की रीलॉन्चिंग टीम का हिस्सा बने और वाराणसी में विश्व संवाद केंद्र के एडिटर के रूप में भी शुरुआती पत्रकारिता का अनुभव हासिल किया।
दिल्ली आने पर आईपी यूनिवर्सिटी से टीवी पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी कर प्रो. उपाध्याय दिल्ली आजतक से बतौर इंटर्न जर्नलिस्ट जुड़े और बाद में ट्रेनी जर्नलिस्ट के तौर पर वो साल 2008 में जीन्यूज से जुड़ गए। इस बीच उन्होंने दिल्ली में एक डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म और मीडिया प्रॉडक्शन हाउस की बुनियाद भी रखी।
दिल्ली में जगह बनाने के लिए कड़े संघर्ष से गुजरते हुए राकेश उपाध्याय बाद में चीफ एडिटर सतीश के सिंह के जरिए ज़ी न्यूज़ में वरिष्ठ प्रोड्यूसर के रूप में स्थापित हुए। उन्होंने बाद में लाइव इंडिया में एंकरिंग भी की जहां वो बगैर टेली प्रॉम्पटर का इस्तेमाल कर न्यूज लीड पढ़ने वाले एंकर और प्रॉड्यूसर बने।
लाइव इंडिया में करीब 10 महीने काम करने के बाद प्रो. उपाध्याय ने नई पारी न्यूज़ 24 के साथ बतौर एसोसिएट ईपी शुरु की जहां उन्होंने कई प्रोग्राम्स और शो को लीड किया। फिलहाल उपाध्याय को पत्रकारिता और अकादमिक शोध के क्षेत्र में काम करने का 20 साल से अधिक का अनुभव हैl उन्होंने आईआईएमसी, दिल्ली में अपनी नई जिम्मेदारी संभाल ली है।
‘आजतक‘ के बाद राकेश उपाध्याय स्वास्थ्य संबंधी कारणों से पत्रकारिता से हटकर पत्रकारिता शिक्षा की तरफ बढ़े। वर्ष 2016 के आखिर में वह ‘बीएचयू‘ में चेयर प्रोफेसर बने। ‘बीएचयू‘ में आठ शोधकर्ताओं ने उपाध्याय के निर्देशन में अनेक शोध बिंदुओं पर काम किया, जिनमें से दो छात्रों को पीएचडी उपाधि मिल चुकी है।
DR ASHOK KUMAR SHARMA
September 4, 2022 at 12:26 pm
यह खबर जिसने भी लिखी है बहुत अच्छे तरीके से लिखी है। सबसे बड़ी बात यह है कि से पढ़ने के बाद में लोगों के मन में आई आईएमसी की ही तरह प्रोफेसर राकेश उपाध्याय के लिए इज्जत बढ़ेगी। बहुत ही बड़ी बात है कि हिंदी पत्रकारिता से जुड़ा कोई व्यक्ति इतने विविधता पूर्ण कैरियर के बाद अब भारत के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान की शोभा बढ़ाएगा। इस संस्थान के कई लोग मेरे मित्र रहे हैं। प्रोफ़ेसर यादव के साथ मैंने निकटता से काम किया है। इसी संस्थान के प्रोफेसर प्रदीप माथुर से मेरी पहली मुलाकात कृषि विश्वविद्यालय के बोर्ड ऑफ स्टडीज की एक बैठक में हुई थी और फिर हम लोग बहुत नजदीक आ गए। हिंदुस्तान टाइम्स में कार्य कर चुके एक प्रोफेसर राव थे जो दिल्ली में राजौरी गार्डन के पास रहते थे उनसे भी मेरी मुलाकात किसी विश्वविद्यालय संभवत इग्नू की एक कार्यशाला में हुई थी। प्रोफेसर उपाध्याय से मेरी कोई भेंट नहीं हुई है और ना ही मैं उन्हें जानता हूं परंतु उनके लिए हृदय से हार्दिक शुभकामनाएं और उन्हें नए दायित्व के लिए बधाई।