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सुख-दुख

सड़क हादसे में अनूप झा का निधन

: तुम्हारी याद बहुत आएगी अनूप : तुम दुनिया छोड़कर चले गए अनूप लेकिन तुम्हारी याद बहुत आएगी। तुम्हारा वो मुस्कुराता हुआ चेहरा भींगी पलकें हमेशा तुम्हे याद करेंगी अपने सबसे पुराने और सहज मित्र को। जो मिजाज और अंदाज से हमेशा मिलनसार रहा। हमेशा याद आएगा, तुम्हारा ये पूछना याद आएगा, कि चाय कब पिलाओगे? तुम्हारे साथ फिर से काम करने का मौका मिला था मुझे करीब 12 साल बाद। हमने हिंदुस्तान में 2000 में साथ काम किया था। फिर अमर उजाला में 2002 में एक बैनर में काम किया। तुम्हारे लाइव इंडिया से परिवार से जुड़ने के बाद मुझे ऐसा लगा था जैसे मुझे कोई खोई हुई दौलत मिल गई। तुम्हारा साथ होना, तुम्हारे साथ बात करना।

: तुम्हारी याद बहुत आएगी अनूप : तुम दुनिया छोड़कर चले गए अनूप लेकिन तुम्हारी याद बहुत आएगी। तुम्हारा वो मुस्कुराता हुआ चेहरा भींगी पलकें हमेशा तुम्हे याद करेंगी अपने सबसे पुराने और सहज मित्र को। जो मिजाज और अंदाज से हमेशा मिलनसार रहा। हमेशा याद आएगा, तुम्हारा ये पूछना याद आएगा, कि चाय कब पिलाओगे? तुम्हारे साथ फिर से काम करने का मौका मिला था मुझे करीब 12 साल बाद। हमने हिंदुस्तान में 2000 में साथ काम किया था। फिर अमर उजाला में 2002 में एक बैनर में काम किया। तुम्हारे लाइव इंडिया से परिवार से जुड़ने के बाद मुझे ऐसा लगा था जैसे मुझे कोई खोई हुई दौलत मिल गई। तुम्हारा साथ होना, तुम्हारे साथ बात करना।

खुशी, गम और करियर में आने वाली चुनौतियों की चर्चा करना हमेंशा से अच्छा लगा है मुझे। बीच में तुम दिल्ली चले गए थे, हरियाणा की पत्रकारिता में नाम रोशन किया। दैनिक भास्कर में रहकर बड़ी जिम्मेदारियां संभाली और जब तुम दिल्ली आए तो नई दुनिया और नेशनल दुनिया के बाद हमारी दुनिया यानी लाइव इंडिया परिवार में चले आए। तुम्हे लाइव इंडिया परिवार के अखबार प्रजातंत्र लाइव में डिप्टी एडिटर के रूप में नियुक्त किया गया था। जहां तुम साल भर से ज्यादा समय से अपनी सेवाएं दे रहे थे। तुम्हें अपने बीच पाकर मुझे कितनी खुशी, कितना साहस और कितना अपनापन महसूस हुआ ये मैं शब्दों में नहीं बयां कर सकता। तुम से जुड़ी कई नई-पुरानी यादे हैं, जो तुम्हें मेरे दिलो दिमाग में जिंदा रखेंगी। 43 साल की उम्र में तुम्हारा जाना मुझे काफी दुख दे रहा है। भगवान इस दुख की घड़ी में तुम्हारी पत्नी और तुम्हारे प्यारा-प्यारे दो बेटों को ढांढ़स और साहस दे। ईश्वर से ऐसी प्रार्थना करता हूं।

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(करनाल के रहने वाले अनूप की बाइक रविवार शाम को वहीं हाईवे पर किसी बड़े वाहन से टकराई और वो गंभीर रूप से घायल हो गए। अनूप के सिर और पैर में गंभीर चोटें आई थीं, और उनके सिर से काफी खून बह गया था। अनूप को पहले करनाल के सिविल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां से उन्हें दिल्ली के एम्स ट्रॉमा सेंटर लगाया गया। ट्रॉमा सेंटर में अनूप को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था, लेकिन आज शाम डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अनूप के ब्रेन और हृदय ने काम करना बंद कर दिया था।)

लेखक अमर आनंद पत्रकार हैं और अनूप झा के सहयोगी व पुराने मित्र रहे हैं.

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